सीएम आवास के बिजली बिल पर शुरू हुआ महासंग्राम

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने सीएम अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास का दो महीनों का बिल 1,21,780 रुपये आने के आरोप को गलत कहा है.  सरकार ने बताया है कि केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास का एक भाग सीएम के निजी आवास के रूप में प्रयोग होता है. वहां अलग मीटर लगा है, जिसका मार्च का बिल 17,000 रुपये, अप्रैल का 7,370 रुपये और मई का 22,690 रुपये आया था.

सरकार के अनुसार, इसी परिसर के दूसरे भाग में जनता से मिलने जुलने और ऑफिस कार्य के लिए अलग से कार्यालय बना हुआ है. वहां अलग मीटर लगा हुआ है, जिसका बिल मार्च में 15,175 रुपये और अप्रैल में 48,630 रुपये आया था. यहां कई सारे कूलर, पंखे और एसी लगा रखे है. सरकार की और से सफाई दी गई कि सीएम के घर वाले भाग का बिजली का औसत बिल माह लगभग 15 हजार रुपये आता है, इसलिए यह कहना सही नहीं है कि सीएम अपने घर में इतनी बिजली का प्रयोग कर रहे है कि एक लाख रुपये से ज्यादा का बिल आया है.

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता दिलीप पांडे ने बताया कि बीजेपी के पास अब जनहित से जुड़ा को मुद्दा नहीं है, इसीलिए वह ऐसे मुद्दों को सामने ला रही है. वहीं, बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने अारोप लगाया है कि केजरीवाल जनता के धन का प्रयोग निजी उपयोग के लिए खर्च कर रहे हैं. इससे उनका असली चेहरा सामने आ रहा है.

दरअसल, बीजेपी से जुड़े आरटीआई ऐक्टिविस्ट विवेक गर्ग ने मजबूती से कहा है कि आरटीआई से उन्हें जानकारी मिली है कि सीएम आवास पर लगे दो मीटरों का बिल अप्रैल में 65,780 रुपये और मई में 56,000 रुपये आया था. इस तरह सिर्फ दो महीनों का पूरा बिल 1,21,780 रुपये का हुआ.   गर्ग ने जानकारी दी कि केजरीवाल जब नए घर में आए थे, तब उन्होंने कहा था कि उनके बंगले से सभी एसी हटाने को कहा, लेकिन वास्तविकता यह है वे 30-32 एसी का प्रयोग करते हैं. ये जनता के साथ बेहद गन्दा मजाक है. विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी यह मामला उठाते हुए मुख्यमंत्री से जवाब मांगा, लेकिन तब सीएम सदन में उपस्थित नहीं थे.

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