भारत को एक और सफलता, सबसे बड़े क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण

बेंगलुरु : जिस प्रकार से पूर्व में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 'इसरो' के द्वारा एक साथ 104 सैटेलाईट्स का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था व जिसे वैश्विक तौर पर एक बड़ी उपलब्धि भी माना गया था. इसी के साथ ही अब भारत के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पता चला है की एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करा कर इतिहास में नाम दर्ज कराने के बाद इसरो ने भूतुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएससलवी एमके तृतीय के लिए स्वदेश निर्मित क्रायोजनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है. इसरो ने बताया कि क्रायोजनिक स्टेज सी 25 ने तमिलनाडु में तिरुचेल्वेल्ली जिले के महेन्द्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में 640 सेकेंड के लिए प्रायोगिक तौर पर उड़ान भरी.

इससे पहले सभी प्रणालियों की पुष्टि करने के लिए सी25 स्टेज ने 25 जनवरी 2017 को 50 सेकेंड के लिए सफल उड़ान भरी थी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बताया कि स्टेज विकास के पहले तीन सीई 20 इंजन छोड़े गए थे जिनमें से दो इंजनों का समुद्र तल में योग्यता परीक्षण किया गया और तीसरे इंजन को काफी ऊचाई में 25 सेकेंड के लिए उड़ाया गया. इस चरण के परीक्षण को मील का पत्थर माना जा रहा है. इसरो का नयी पीढ़ी का प्रक्षेपण वाहन जीएसएसवी एमके तृतीय चार टन श्रेणी के उपग्रहों को भूतुल्यकाली स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित करने में सक्षम है.

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