इश्कदारी निभाते-निभाते सनम

इश्कदारी निभाते-२ सनम। सारी दुनिया से मैं लापता हो गया।। तुमको अपना बनाते-बनाते सनम। सारे अपनो से मैं जुदा हो गया।। नाम भी न रहा, काम भी न रहा । और घर का पता लापता हो गया।। दोस्त है न कोई सारे दुश्मन हुए। अब अलग मुझसे सारा जहां हो गया ।। नफरत है बुरी, प्रेम सबसे करो। सुनते- सुनते ये बातें बड़ा हो गया ।। सिर्फ चाहा ही है मैने तुमको सनम। फिर समझ आए न क्या खता हो गया ।। मैं निभाता रहा दुनिया की हर रश्म। फिर क्यों उल्टा जमाना खड़ा हो गया।। अब भरोसा रहा न किसी बात पर। दुनिया क्या चीज है ये पता हो गया ।। अब किसी बात की परवाह करो न । आज ये आखिरी फैसला हो गया ।।

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