भगवान शनि का परिचय और शनिदेव की प्रसन्नता

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को पीड़ाकारक या दुःख का कारक माना गया है। लेकिन इसका अर्थ यह कभी भी नहीं है कि शनि हमेशा ही दुखों का कारण बनते है। शनिदेव को न्याय का देवता भी माना गया है। यदि जातक की कुंडली में शनि का विपरित प्रभाव है या फिर साढ़े साती है तो उसे ज्योतिषीय सलाह से समस्या का निदान करने की जरूरत है।

शनिदेव के गुरू महादेव भोलेनाथ माने जाते है जबकि माता छाया है वहीं पिता सूर्य देव माने गये है। भाई यमराज, बहन यमुना, रंग काला, स्वभाव गंभीर, कार्य कुशल, जिद्दी, क्रोधी है और उनकी हमेशा वक्र दृष्टि बनी रहती है। शनि के प्रिय देवता हनुमानजी, शिव, श्री कालभैरव है और प्रिय वृक्ष पीपल होता है। शनि देव की प्रसन्नता के लिये श्री हनुमानजी को प्रति शनिवार तेल चढ़ाना चाहिये तथा भगवान भोलेनाथ की उपासना भी शनि की प्रसन्नता देती है। कौवे एवं कुत्ते, काली गाय को रोटी खिलाने से भी शनि देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है। तेल, काला वस्त्र, कंबल, काला तिल, लोहा, नीलम रत्न, उड़द, जूते या चमड़े से बनी वस्तुएं शनि का दान होता है।

शनि से होने वाले रोग-

शनि की पीड़ा से होने वाले रोग लकवा, मधुमेह अर्थात शुगर, त्वचा के रोग, गठिया, असाध्य रोग, किडनी, दाद, खुजली, साइटिका, घुटने में दर्द या साइटिका जैसे रोग होते है।

शनिदेव को करना है प्रसन्न तो इन तरीको से करे हनुमान जी की पूजा

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