इंसान में इंसान को मरने न दिया

रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया, हम ने इंसान में इंसान को मरने न दिया,

ज़िंदगी कशमकश-ए-वक़्त में गुज़री अपनी, दिन ने जीने न दिया तो, रात ने मरने न दिया,

अश्क़ बरसाए, कभी ख़ून बहाया हम ने, ग़म का दरिया किसी मौसम में उतरने न दिया....

Related News