INS कलवरी के शामिल होने से नौसेना की क्षमताओं में होगा इज़ाफ़ा

मेक इन इंडिया के तहत आज प्रधानमंत्री सेना को कलवारी के साथ एक नयी पनडुब्बी सौपेंगे. नौसेना में इस पनडुब्बी को शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इस पनडुब्बी के सेना में शामिल होने से हिन्द महासागर में रक्षा तंत्र बहुत मजबूत हो जायेगा. इसके शामिल होने से रक्षा तंत्र में कई गुना इज़ाफ़ा होगा.

इस पनडुब्बी को बहुत ही उच्च तकनीक से विकसित किया गया है ये INS कलवारी स्कॉर्पियन क्लास पनडुब्बी है, और इसका डिज़ाइन फ्रांस की एक कम्पनी द्वारा किया गया है. मुंबई के मंझगांव में यह पनडुब्बी बनकर तैयार हुई है. इसकी तकनीक इतनी शक्तिशाली है कि दुश्मन की तरफ से आने वाले गाइडेड वेपेंस को यह पनडुब्बी फ़ौरन ही नेस्तोनाबूत करने का दम रखती है. इस पनडुब्बी से एंटी-शिप मिसाइल को भी लांच किया जा सकता है.

इसी साल इस पनडुब्बी से एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण भी किया जा चुका है. अरब सागर में इस पनडुब्बी ने अपनी क्षमताओं से भरे इस एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण कर एक छोटा सा नमूना पेश किया था. इस पनडुब्बी के नौसेना में शामिल होते ही, नौसेना के पास पनडुब्बियों की संख्या 13 से बढ़कर 14 हो जायेगी. यह अत्याधुनिक पनडुब्बी डीजल और इलेक्ट्रिक दोनों ही शक्तियों से भरपूर है. वहीँ हिंदी महासागर में चीन की तरफ से बढ़ने वाली गतिविधियों को देखते हुए अभी नौसेना को 24 से 26 पडुब्बियों की जरूरत महसूस हो रही है.

गौरतलब है की भारतीय नौसेना में 8 दिसंबर 1967 को पहली बार आईएनएस कलवरी पनडुब्बी शामिल हुई थी, जिसकी सेवाएं 31 मई 1996 को ख़त्म कर दी गयी थी.

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