सखी सैयां तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाए जात है

हमारे भारत देश में त्यौहारों को लेकर काफी धूमधाम वाला माहौल देखने को मिलता है. कहीं बाजारों का समा दिल को छू जाता है तो कहीं हर तरफ जगमगाती रोशनी से हर जगह का अंधकार दूर होता नजर आता है. पूरा भारतवर्ष मिलकर इस त्यौहारी माहौल के रंग में रंगता हुआ नजर आता है. वो मिठाई की खुशबु, वो पटाखों का जलना, वो घर की चौखट पर दिए का जलना...!! ये सब बातें कहीं ना कहीं मन को प्रफुल्लित कर देती है. हर वर्ष हम उसी उत्साह के साथ दीपों का यह त्यौहार मनाने के लिए आगे आ जाते है फिर वहीं सभी लोगों के साथ मिलकर इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाते है. लेकिन क्या आप इस साल भी इस त्यौहारी सीजन का इतने आनंद से ले पाएंगे...?

आज हम बात कर रहे है यहाँ त्यौहारी माहौल की लेकिन इस त्यौहारी माहौल ने तो आम आदमी का बजट ही बिगाड़ कर रख दिया है. त्यौहारो में सबसे ज्यादा जिस चीज को माना जाता है वह होती है हम सबकी पसंदीदा "मिठाई", लेकिन साहब सरकार ने चीनी के दाम बढाकर हमारी मिठाई का स्वाद कुछ फीका सा कर दिया. अब आम आदमी के लिए वह मिठाई तो होगी लेकिन हो सकता है कि उसमे मिठास कुछ कम हो. दूसरी तरफ चलते है बात करते है "पकवानों" की. अरे भाई बिना पकवानों के तो त्यौहार ही अधूरा होता है. लेकिन हम बिना पकवानों के त्यौहारों की बात क्यों कर रहे है...? अरे जिस तरह से खाद्य पदार्थों के भाव बढ़ रहे है उसको देखते हुए यह लग तो नहीं रहा है कि लोगों के घरों में इस वर्ष भी पकवान अच्छे बन पाएंगे. जी हाँ,

आप खुद ही देख लीजिये जो प्याज कभी सब्जियों की शान हुआ करता था आजकल वह देखने को मिल जाये तो भी बहुत है और दाल के वारे ही न्यारे है. दाल तो आज जिसके खाने में मिल जाये उसे गरीबी रेखा से भी ऊपर ही माना जाना चाहिए. क्योकि गरीबों को तो अपनी थाली में दाल देखें को जमाना हो गया है. अब आप ही बताइये जहाँ दाल महंगी, प्याज महंगा और सब्जियों के आसमान छूते भाव वो वहां आप अच्छे पकवानों का सपना भी कैसे देख सकते है. ये तो हुई पकवान और मिठाइयों की बात, लेकिन भैया बच्चे तो भगवान का रूप होते है ना..!! लेकिन लगता नहीं कि हमारी सरकार ये बात समझ पा रही है. इस त्यौहार में बच्चे यदि पटाखे नही फोड़े तो क्या मतलब का ऐसा त्यौहार. लेकिन सरकार ने पटाखा फोड़ने के लिए भी समय सीमा तय कर दी है. सरकार का कहना है कि आप केवल 5 घंटों में ही पटाखे फोड़ सकते है और अगर उसके बस किसी ने पटाखे फोड़े तो.....????

अब भाई जो बची हुई ख़ुशी थी कम से कम उसे तो रहने दिया होता. बड़ों का नहीं बच्चों की खुशियों का तो ध्यान रखा होता. यहाँ पर भी बात पूरी नहीं होती है जनाब. कहते है कि ऐसे सीजन में व्यापारियों की चांदी हो जाती है लेकिन इस दिवाली कुछ उल्टा होता हुआ नजर आ रहा है. "ई-कॉमर्स जबसे भारत में आया है अपने साथ खुशियां लेकर आया है" यह एक लाइन सहीं भी है लेकिन गलत भी है. जबसे सारा सामान ऑनलाइन मिलने लगा है तबसे हमारे शॉपिंग मॉल्स से तो जैसे लोगों ने दूरियां ही बना ली है. हर कोई सामान ऑनलाइन मंगवा लेता है. अरे भाई कौन बाजार तक जाये..??  लेकिन आपके इस आलसीपन ने कई व्यापारियों को घाटा उठाने पर मजबूर कर दिया है.

अब ये त्यौहार सीजन अगर इतनी खुशियां लेकर सामने आ रहा है तो आप ही बताये कि कोई कैसे त्यौहारो में खुश ना रहे. अरे भाई महंगाई ने कमर तोड़ दी है, सरकार ने मन हताश कर दिया है लेकिन इसके बावजूद भी त्यौहार तो त्यौहार ही है ना. मीठा कम खा लेंगे, पकवान कम बना लेंगे, बच्चों के मन को भी समझा देंगे लेकिन त्यौहार तो त्यौहार ही है ना..!! मनाएंगे तो उसी उल्लास से, चेहरे पर उसी मुस्कान से, दिल में उसी प्यार से....आखिर त्यौहार तो त्यौहार है ना...!!

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