बाँझपन से मुक्ति

पलाश के फूल से छठा सिंदूरी हो जाती है ये फूल जंगलो तथा ग्रामीण क्षत्रो में खिलते है. होली के कुछ समय तक इनका मौसम रहता है. इसके फूल पत्ते डंगाल और जड़ सभी फायदेमंद होती है. पलाश की पत्ती को सुखाकर जलाकर इसकी राख को देसी गाय के दूध के साथ सेवन करने से बाँझपन दूर होता है. 

गर्भ धारण करने में भी पलाश का पत्ता बहुत उपयोगी है. पहले महीने एक पत्ता दूसरे महीने दो पत्ते इसी प्रकार 9 महीनो तक 9 पत्ते लेकर एक गिलास दूध में पकाकर सुबह शाम पिने से संतान प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है. 

हाथ पांव की बीमारी में पलाश की जड़ का चूर्ण अरंडी के तेल में मिला कर लगाने से लाभ मिलता है. पलाश के जड़ की चार पांच  बूँद नाक में डालने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते है . इसके जड़ की कुछ बूंदे आँख में डालने से मोतियाबिंद ठीक हो जाता है.

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