इस देश के एक गाँव को कहा जाता है बिन मां वाला गांव..

बच्चों के लिए माँ बहुत जरुरी होती है. माँ के बिना जीवबन अधूरा लगता है. लेकिन एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर किसी की माँ नहीं रहती बल्कि उनके पिता ही उनके साथ रहते हैं और वही उनके देखभाल भी करते हैं. यहां ऐसा क्यों है इसी की जानकारी हम आपको देने जा रह हैं. भला गांव में माँ नहीं रहती हो ऐसा कैसे हो सकता है. चलिए जानते हैं इसका कारण क्या है. 

दरअसल, पूर्वी इंडोनेशिया में एक ऐसा गांव है जिसे लोग बिना मां वाला गांव कहते हैं. दरसल इस गांव में माएं नहीं रहतीं. यहां की लगभग सभी माएं दूसरे देशों में नौकरी के लिए जा चुकी हैं. मां के गांव छोड़ने पर बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी पिता की होती है. ज्यादातर घरों में यही स्थिति होने के कारण पड़ोसी एक-दूसरे के बच्चे की देखभाल में भी मदद करते हैं. मांओं के विदेश में नौकरी करने का मकसद बच्चों को बेहतर परवरिश और जीवन देना है. जिसके कारण वो अपने बच्चों से दूर रहती हैं. यहां के बच्चों के लिए मां को जाते देखना बेहद इमोशनल पल होता है.

इतना ही नहीं, यहां कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनके माता-पिता दोनों ही विदेश में रहते हैं. उन्हें ऐसे स्कूल में रखा गया है जहां वे रहते हैं और पढ़ाई भी करते हैं. ऐसे स्कूलों को यहां की स्थानीय महिलाओं और माइग्रेंट राइट समूहों द्वारा चलाया जा रहा है. यहां के ज्यादातर मर्द किसानी और मजदूरी करके घर का खर्चा उठाते हैं, वहीं महिलाएं विदेशों में घरेलू नौकर या नैनी बनकर काम कर रही हैं. पूर्वी इंडोनेशिया से महिलाओं के विदेश जाने का सिलसिला 1980 के दशक में शुरू हुआ था.

विदेश में नौकरी करने वाली कुछ महिलाएं वतन लौट आती हैं, क्योंकि कानूनी नियम न होने के कारण उनके साथ विदेश में दुर्व्यवहार किया जाता है. कुछ माएं अपने वतन कफन में लिपटकर आती हैं. वहीं कुछ ऐसी हैं जिनको काम पर रखने वाले लोग बुरी तरह पीटते हैं.

कुछ महिलाओं को बिना पैसा दिए वापस भेज दिया जाता है. जबरदस्ती शारीरिक सम्बंध भी बनाए जाते हैं. यही कारण है कि यहां के गांव में बच्चों की शक्ल-सूरत में भी विभिन्नता है.

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