देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए मंदिर आए आगे

नई दिल्ली : भारत सरकार अब मंदिरों के खजाने से देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिये कवायद करने में जुटी हुई है। हालांकि सरकार को अपने इस प्रयास में सफलता मिलना शुरू हुई है लेकिन इसका विरोध भी करने का सिलसिला दिखाई देने लगा है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही देश की अर्थ व्यवस्था को नये पंख लग जायेंगे। 
दरअसल देश के कई ऐसे मंदिर है, जहां अकूत सोने के भंडार है, चढ़ावे और दान में मिले सोने के साथ ही करोड़ो की आय भी मंदिरों को हर वर्ष होती है। केन्द्र की मोदी सरकार चाहती है कि ऐसे मंदिरों का सोना बैंकों में रखा जाये, ताकि अर्थव्यवस्था में तो सुधार हो ही सके, देश में सोने की भी कमी को पूरा किया जा सकेगा। सरकार बैंकों में सोना रखने के बाद संबंधित मंदिरों को ब्याज देगी। बताया गया है कि मोदी सरकार के इस प्रस्ताव पर कुछ मंदिरों ने हामी भर दी है। 
गौरतलब है कि देश में पद्मनाभस्वामी, तिरूपति बालाजी, शिर्डी के सांई बाबा मंदिर, माॅं वैष्णो देवी मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर जैसे अन्य कई मंदिर है, जहां करोड़ों की आय हर वर्ष होती है तथा सोना भी बड़ी मात्रा में चढ़ावे व दान आदि में आता है। इधर मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेन्द्र मुरारी राणे का कहना है कि सरकार की योजना से हम सहमत है, लेकिन सरकार को चाहिये कि वह मंदिरों की सोने की सुरक्षा संबंधी गारंटी दे। राणे का कहना है कि बैंकों में रखे गये स्वर्ण की ब्याज दर 5 प्रतिशत रखी जाये।

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