रूपये को सँभालने में विदेशी पूंजी भंडार गया नीचे

मुंबई : रुपये में गिरावट रोकने की कोशिश और अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से देश का विदेशी पूंजी भंडार 28 अगस्त को समाप्त सप्ताह में करीब 3.43 अरब डॉलर घटकर 351.92 अरब डॉलर रह गया। आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसिस के करेंसी एडवाइजरी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हीरेन शर्मा ने भंडार में कमी का एक कारण बताते हुए कहा है कि, "भारतीय रिजर्व बैंक रुपये को गिरावट से बचाने की कोशिश कर रहा है। यह काफी सक्रियता के साथ हाजिर बाजार में डॉलर बेचकर रुपये को बचाने की कोशिश कर रहा है।" कोटक सिक्युरिटीज के करेंसी डेरिवेटिव्स के सहायक उपाध्यक्ष आनंद्य बनर्जी ने कहा है कि प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती आने से भी पूंजी भंडार में गिरावट दर्ज की गई।

बनर्जी ने कहा, "आलोच्य सप्ताह में प्रमुख गैर-डॉलर मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में 1.8-2 फीसदी मजबूती आई है। इसका पूंजी भंडार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।" पूंजी भंडार में 20-25 फीसदी योगदान गैर-डॉलर मुद्राओं का है। इन मुद्राओं में होने वाले उतार-चढ़ावों का भी पूंजी भंडार के मूल्य पर असर पड़ता है। बनर्जी ने कहा कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा दर में वृद्धि करने की योजना और चीन तथा यूरोपीय बाजार में सुस्ती के रुझान के कारण डॉलर में मजबूती देखी जा रही है। देश का विदेशी पूंजी भंडार 28 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 3.4339 अरब डॉलर घटकर 351.920 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 23,119.7 अरब रुपये के बराबर है।

आरबीआई द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा भंडार आलोच्य सप्ताह में 3.4245 अरब डॉलर घटकर 328.3066 अरब डॉलर हो गया, जो 21,597.2 अरब रुपये के बराबर है। बैंक के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इस पर भंडार में मौजूद पाउंड, स्टर्लिग, येन जैसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है। आलोच्य अवधि में देश के स्वर्ण भंडार का मूल्य बिना किसी बदलाव के 18.2501 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 1,168.1 अरब रुपये के बराबर है। इस दौरान देश के विशेष निकासी अधिकार (एसडीआर) का मूल्य 71 लाख डॉलर घटकर 4.0679 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 268.8 अरब रुपये के बराबर है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में देश के मौजूद भंडार का मूल्य आलोच्य अवधि में 23 लाख डॉलर घटकर 1.2954 अरब डॉलर दर्ज किया गया, जो 85.6 अरब रुपये के बराबर है। पूंजी भंडार में गिरावट का एक अन्य प्रमुख कारण तेल मूल्य में वृद्धि होने से तेल विपणन कंपनियों की मांग में हुई वृद्धि है। जियोजित बीएनपी पारिबा के तकनीकी शोध सह-प्रमुख आनंद जेम्स ने आईएएनएस से कहा, "तेल मूल्य में प्रति बैरल करीब 10 डॉलर की वृद्धि चिंता का कारण है। खासकर तब जब रुपये में गिरावट चल रही है।" शुक्रवार को वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 46.05 डॉलर प्रति बैरल पर और ब्रेंट क्रूड 49.61 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक कुल सप्ताह पहले प्रति बैरल 40-42 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था।(आईएएनएस)

Related News