कनाडा में भारतीय मूल के पत्रकार समीर कौशल पर खालिस्तानी समर्थकों का हमला, मूकदर्शक बनी रही पुलिस, Video

ओटावा: कनाडा में एक भारतवंशी पत्रकार के साथ खालिस्तानियों द्वारा बदसलूकी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। कनाडा में भारतीय मूल के पत्रकार समीर कौशल को सोमवार (20 मार्च) की शाम ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया और आपत्तिजनक नारे लगाने शुरू कर दिया। 

 

समीर कौशल ने अपने ट्विटर हैंडल से इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि वह भारतीय उच्चायुक्त की यात्रा को कवर करने के लिए सरे में मौजूद थे। यहां एक खालिस्तान समर्थक समूह ने उन्हें धमकाया और उनके साथ मारपीट की। कौशल ने आगे लिखा कि 'अपने पंजाबी बोलने वाले दोस्तों या सहकर्मियों से पूछिए कि वे यहां कैसे अपमानजनक और शर्मनाक शब्दों का उपयोग कर रहे हैं।' रेडियो AM600 के समाचार निदेशक समीर कौशल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'विरोध हिंसक होने के बाद भी सरे RCMP (पुलिस) इस पूरे मामले में मूकदर्शक बनी रही। पुलिस उन्हें (खालिस्तानी समर्थकों को) रोकने की जगह मुझे वहां से जाने के लिए कहती रही।'

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समीर कौशल ने घटना के बारे में बताया है कि उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा सोमवार (20 मार्च) शाम को भारतीय प्रवासियों द्वारा आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कनाडा के पश्चिमी तट पर थे। समीर ने बताया कि, 'जब मैं वहां पहुंचा, उस समय खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी पूरे रास्ते को घेरकर खड़े हुए थे। जब मैंने उनसे कहा कि मुझे भीतर जाना है, तो उन्होंने मना कर दिया। जब मैंने उन्हें बताया कि मैं यहां कार्यक्रम को कवर करने के लिए हूं, तो उन्होंने कहा कि कोई अंदर नहीं जा सकता। समीर कौशल ने बताया कि, 'वे लोग नारे लगा रहे थे, अपमानजनक शब्दों का उपयोग कर रहे थे और भारत के प्रधानमंत्री पर अभद्र टिप्पणियां कर रहे थे।' समीर कौशल ने दावा करते हुए कहा कि उन्हें खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने जानबूझकर निशाना बनाया। 

बता दें कि, भारत में खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई से कुछ कट्टरपंथी और भारत विरोधी ताकतें बौखलाई हुईं हैं। इसी के चलते कई देशों में खालिस्तानियों द्वारा भारतीय दूतावासों और भारतीय लोगों पर हमले किए गए हैं। समीर कौशल पर ये हमला खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा लंदन और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय उच्चायोग पर हमला करने और कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद हुआ है। लंदन में तिरंगे को भारतीय उच्चायोग से नीचे उतारने का प्रयास किया गया था, हालांकि, उच्चायोग के एक कार्मचारी ने तिरंगे को नीचे गिरने से बचा लिया था।

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