भारतीय मैनेजरों ने किया एशियाई मुल्कों को मज़बूर

एशियाई मुल्को में भारतीय मैनेजरों का जादू इस कदर चला की अब संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, मलयेशिया और श्रीलंका जैसे देशों में सीनियर पदों पर भारतीय मैनेजरों की जबरदस्त डिमांड है। इन मुल्कों की कंपनियों में भारतीय मैनेजरों को कंपनियों के बोर्ड में भी जगह मिल रही है। इतना ही नही आरजीएफ ऐग्जिक्युटिव सर्च, ईएमए पार्टनर्स जैसी जॉब कंसल्टेंसी फर्मों के मुताबिक, ई-कॉमर्स, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, ऐनालिटिक्स, बिग डेटा और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों में टैलंट के लिए विदेशी कंपनियां तेजी से भारत का रुख कर रही हैं।हालांकि, पहले के उलट सभी सीनियर ऐग्जिक्युटिव्स इस ऑफर को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। एम पेज इंडिया के सीनियर मैनेजिंग डायरेक्टर सेबेस्टियन एच ने बताया, 'सिंगापुर, मलयेशिया, इंडोनेशिया और फिलिपींस की कंपनियां अपने बोर्ड और लीडरशिप पोजिशन पर भर्ती के लिए भारतीयों की तलाश कर रही हैं।

लेकिन इसके बावजूद भी कई भारतीय ऐग्जिक्युटिव देश छोड़ने को तैयार नहीं है, क्योंकि उन्हें भारत में ही अच्छे मौके मिल रहे हैं।' फॉरन कंपनियों के बोर्ड में शामिल भारतीय ऐग्जिक्युटिव्स को सालाना फीस के तौर पर 50 लाख से लेकर कई करोड़ रुपये तक मिलते हैं और हर तिमाही में उन्हें एक बार बोर्ड की बैठक में हिस्सा लेना होता है। आरजीएफ फिलिपींस के मैनेजिंग डायरेक्टर आर सुरेश के मुताबिक, चीन और मलयेशिया टेक्नॉलजी और हेल्थ सेक्टर में भारतीय टैलंट की तलाश कर रहे हैं, जबकि आसियान और खाड़ी के देश मैन्युफैक्चरिंग और कन्जयूमर सेक्टरों में भारतीय सीनियर ऐग्जिक्युटिव्स की मांग कर रहे हैं।

सुरेश ने बताया, 'पिछले 6 से 12 महीनों के दौरान इन सेगमेंट में इंडियन लीडरशिप टैलंट की मांग बढ़ी है।' गोदरेज कन्जयूमर प्रॉडक्ट्स के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप सहगल को श्रीलंका की एक बड़ी कंपनी के बोर्ड का मेंबर नियुक्त किया गया था। उन्होंने बताया, 'भारतीय टैलंट को लेकर एशियाई कंपनियों में जबरदस्त दिलचस्पी है।' हालांकि, समय नहीं दे पाने और काम का ज्यादा बोझ होने के कारण सहगल ने यह नौकरी छोड़ दी। नोएडा की एक टेक्नॉलजी कंपनी के फाउंडर और सीईओ को साउथईस्ट एशिया की एक कंपनी के बोर्ड में इंडिपेंडेंट मेंबर के तौर पर शामिल होने का ऑफर मिला।

आईवीकैप वेंचर्स के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गुप्ता ने बताया, 'हाल में भारत के कुछ सफल सीईओ और फाउंडर्स को साउथईस्ट एशियाई कंपनियों के बोर्ड में इंडिपेंडेंट मेंबर के तौर पर शामिल होने के ऑफर मिले हैं। इस ट्रेंड के आगे भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि आने वाले वक्त में भारत और आंत्रप्रेन्योर्स निकलकर सामने आएंगे।' आईवी कैप के जरिये गुप्ता आईआईटी के 5,000 एल्युमिनाई से संपर्क में है, जो स्टार्टअप्स को गाइड करते हैं। टॉप पोजिशन के लिए भारतीय ऐग्जिक्युटिव को ऑफर किया गया पैकेज अलग-अलग देशों पर निर्भर करता है। सेबेस्टियन ने बताया, 'फिलिपींस की टॉप कंपनियों में किसी भारतीय वाइस प्रेजिडेंट (फाइनैंस) को तकरीबन 2 करोड़ रुपये तक मिलेंगे।'

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