कानून मंत्रालय को नहीं पता इस अपराध की सजा

देश में पिछले दिनों 'भारत माता की जय' बोले जाने को लेकर काफी बवाल हुआ है. उस दौरान देश के कई इलाकों से 'भारत माता की जय' बोलने के लिए मजबूर किये जाने की भी कई खबरें आयी थी. जिसके बाद एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने क़ानून मंत्रालय में RTI के तहत एक याचिका दायर कर सरकार से ये जानना चाहा कि क्या नागरिकों को 'भारत माता की जय' बोलने के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है? हालांकि क़ानून मंत्रालय ने इसका जो जवाब दिया वो काफी चौकाने वाला था.

दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद इरफान कादरी ने आरटीआई के जरिए कानून मंत्रालय से ये जानना चाहा कि, क्या कि क्या कोई नागरिक कानूनी रूप से 'भारत माता की जय' बोलने के लिए बाध्य है? साथ ही अगर किसी नागरिक से मजबूरन भारत माता की जय बुलवाया जाता है तो क्या उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाई की जा सकती है? कानून मंत्रालय ने इसके जवाब में कहा है कि, 'मंत्रालय के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है जिससे ये पता लगाया जा सके कि नागरिकों को 'भारत माता की जय' बोलने के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.'

19 अप्रैल 2016 के सीपीआईओ के जवाब के बारे में मामले के मुख्य सूचना आयुक्त आर. के. माथुर ने जानकारी देते हुए कहा कि, 'याचिकाकर्ता को बता दिया गया है कि उन्होंने जो सूचना मांगी है, वह न तो आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2 (F) के तहत परिभाषित किसी सूचना के अधीन आती है और ना ही इस अधिनियम की धारा-2 के तहत किसी रिकॉर्ड का हिस्सा है.'

 

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