भारतीय सेना ने घर में घुसकर दिया मुँह तोड़ जवाब, 50 उग्रवादी ढेर

नई दिल्ली : भारतीय सेना ने मणिपुर हमले का करारा जवाब दिया है. भारतीय सेना ने मंगलवार सुबह म्यांमार की सीमा में घुसकर मणिपुर हमले के जिम्मेदार लगभग 50 उग्रवादियों को मौत के नींद सुला दिया. उग्रवादियों के दो अड्डे का विनाश कर दिया. भारतीय सेना म्यांमार सरकार के समन्वय से इसको सफल बना पायी है. सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ ये भारतीय सेना की पहली बड़ी सफलता थी. आजादी के बाद भारतीय सेना का यह पहला बड़ा सैन्य ऑपरेशन है. भारतीय सेना ने ऐसा करके आतंकियों के हौसले पस्त कर दिए है. जानकारी है कि, ऑपरेशन की तैयारियों को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश की यात्रा पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल यात्रा के बीच में ही वापिस लौट आये थे.

सेना के मिलिट्री ऑपरेशन के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल रणबीर सिंह ने बताया कि चार जून को 18 सैनिकों की हत्या करने वाले उग्रवादी नए हमले करने की तयारी में थे. जानकारी की पुष्टि होने के बात सेना की कार्रवाई जरुरी हो गयी थी. भारतीय सेना ने मणिपुर और नगालैंड की सीमा से लगे म्यांमार के इलाके में दो स्थानों पर कार्यवाही को अंजाम दिया था. पूरे ऑपरेशन में सेना के सभी जवान पूरी तरह से सही सलामत है. पूर्वोत्तर में दो दर्जन उग्रवादी संगठन क्रियाशील हैं और उनमें से अधिकतर ने म्यांमार के काचीन प्रांत में प्रशिक्षण टीम और बेस बना रखा है.

शहीद हुए थे भारतीय सेना के 18 जवान.

चार जून को मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने सेना की 6 डोगरा रेजीमेंट पर रॉकेट चालित ग्रेनेड व अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया था. जिसमे भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे. तब रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान आया था कि हम शहीदो के बलिदान को बेकार नहीं जाने देंगे.  मंगलवार की सैन्य कार्रवाई के अंतर्गत मणिपुर में हमला करने वाले एनएससीएन (खापलांग) और कांगलेई यावोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) के ठिकानों पर निशाना सादा.

जॉइंट एक्शन नहीं 'हॉट परस्यूट'

पूर्वोत्तर में लंबे समय तक पदस्थ रहे मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक मेहता ने जानकारी दी कि सेना के ऐसे अभियान को  'हॉट परस्यूट' नाम दिया जाता है. अमेरिका और चीन भी ऐसे अभियान चलाते है. इसमें म्यांमार को पूर्व में ही सूचना दे दी गयी थी और उसके समन्वय से ही अभियान को अंजाम दिया गया है. भारतीय सेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग पूर्वी कमान के अध्यक्ष भी रह चुके है. उन्हें चप्पे-चप्पे की सूचना दी गयी थी.  उन्होंने बेहतरीन तरीके से इस काम को अंजाम दिया है.

उच्चस्तरीय था फैसला -जानकारी थी कि इस पूरी योजना को दिल्ली में उच्च स्तर पर सहमति दी गयी थी. -कार्रवाई करने के पूर्व उच्च स्तर पर ही म्यांमार सरकार से संपर्क स्थापित किया गया. -म्यांमार सरकार और वहां की सेना को भरोसे में लेने के पश्चात ऑपरेशन का रास्ता साफ हो गया. -आपरेशन के पूर्व वायुसेना की मदद से उग्रवादियों के ठिकानों की तस्वीरें खींची गईं. -तस्वीरों के आकलन के बाद हेलीकॉप्टर से सेना के विशेष दस्ते ने शिविरों पर हमला बोला.

सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री, राज्यवर्धन राठौर ने यह बयान दिया कि "हमारा जो भी पड़ोसी हमारे यहां आतंकी गतिविधिया सक्रिय करने के प्रयास में है , उसके लिए यह एक बेहद अच्छा सन्देश है.  प्रधानमंत्री ने एक साहसिक फैसला लिया और सेना को म्यांमार में घुसकर कार्यवाही करने कि अनुमति दी'

 

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