लेह: कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने वाली बोफोर्स तोपों की पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात किए जाने से संकेत मिलते हैं कि इस बार भारत चीन के किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने वाला है। गलवान घाटी से चीन की सेना भले ही 2 किलोमीटर पीछे चली गई हो किन्तु पैंगोंग सो झील के फिंगर 4 क्षेत्र में चीनी जवान अभी भी जमे हुए हैं। चीन के इतनी आसानी से कदम पीछे हटा लेने के पीछे भी उसकी कोई गहरी चाल मानकर भारत भी अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता। इसी के साथ ही अनंतनाग में हवाई पट्टी का निर्माण चीन की किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारत की कड़ी तैयारियों की तरफ संकेत कर रहा है। इंडियन आर्मी और चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी- PLA) के बीच छह दौर की वार्ता विफल होने के बाद 2 जून को हुई डिवीजनल कमांडर स्तर की बातचीत भी नाकाम रही। अब पूर्वी लद्दाख में ब्रिगेडियर स्तर की अगली बैठक 6 जून को निर्धारित की गई है। लगातार वार्ता फेल होते देख सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि चीन बातचीत के बहाने वक़्त ले रहा है और अन्दर ही अन्दर अपनी तैयारियां करने में जुटा हुआ है। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उम्मीद जताई कि 6 जून को फिर दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर होने वाली वार्ता में विवाद का कुछ न कुछ समाधान जरूर निकलेगा। इस बैठक में दोनों सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। इस मीटिंग को भारत की तरफ से लेह स्थित 14 कॉर्प कमांडर का डेलीगेशन लीड करेगा। रिलायंस का राइट्स इश्यू हुआ हिट, मुकेश अंबानी ने किया शुक्रियादा नाबालिग लड़की की कराई जा रही थी शादी, पुलिस ने दर्ज किया मामला कर्नाटक : राज्य में आने वाले लोगों को इस प्रक्रिया का करना पड़ेगा सामना