ब्रिक्स सम्मेलन में होगी भारतीय कूटनीति की परीक्षा

नई दिल्ली : डोकलाम विवाद को सफलतापूर्वक सुलझाने के बाद भारतीय कूटनीति की परीक्षा अब ब्रिक्स सम्मेलन में होगी.चीन के साथ जारी तनावों को परे रखते हुए इस सम्मेलन में मुख्य कोशिश यह होगी कि आतंकवाद के मुद्दे पर सदस्य देशों सहमति हो जाए .यदि ऐसा हो पाया तो चीन की धरती से पाकिस्तान को आ तंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश का व्यापक असर पड़ेगा.

 गौरतलब  है कि अक्टूबर, 2016 में गोवा ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणा पत्र में  मेजबान होने के कारण आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृष्टिकोण से कई बातें शामिल नहीं हो पाई थी. अब चीन में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भारत इसकी भरपाई करने का प्रयास करेगा. इसका एक उद्देश्य यह भी होगा कि पाकिस्तान को चीन की धरती से आतंकवाद पर सख्त संदेश दिया जा सके. फ़िलहाल यह कहना मुश्किल है कि चीन अपने दोस्त देश पाकिस्तान के विरुद्ध ऐसी घोषणाओं के लिए तैयार होगा या नहीं.

उल्लेखनीय है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय दल इस बैठक में शामिल होने के लिए 3 सितंबर को चीन के लिए रवाना होगा. ब्रिक्स बैठक चीन के शियामेन शहर में होगी . इसके अलावा पीएम मोदी की अन्य सदस्य चारों देशों के साथ भी द्विपक्षीय बैठक होगी. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अध्यक्षता में दोनो देशों की पूर्ण बैठक होने की सम्भावना हैं जिसमें सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की जाएगी .इसमें एनएसए अजीत डोभाल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व कैबिनेट के कुछ अन्य वरिष्ठ मंत्रियों भी शामिल हो सकते हैं. डोकलाम विवाद के समाधान के बाद इस बैठक का महत्व बढ़ गया है.

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