भारत बनकर उभरेगा दुनिया का मसीहा!

इस वक्त समूचा विश्व आतंक से थर्रा रहा है। हर ओर दहशत का माहौल है। कहीं खून से सना फर्श नज़र आता है तो कहीं लोग मलबे के बीच जिंदगी की उम्मीद खोजते नज़र आते हैं। इस बीच हाथ उस अलमदार की इबादत में बरबस ही उठ जाते हैं। लगता है जैसे आतंक के इस शैतान से अब कोई मसीहा ही इंसान को बचा सकता है। जी हां मसीहा,। 
 
जब भारत ने बार - बार विश्व मंच पर यह जताया कि पाकिस्तान की धरती से समर्थित आतंक दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है, और भारत को अपनी रक्षा के लिए परमाणु शक्ति संपन्न होने की जरूरत है तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश की त्योरियां चढ़ गईं, और उन्होंने भारत को मदद देने से इंकार कर दिया लेकिन अमेरिका में 9/11 और अब सिडनी, पेशावर में तालिबान पाकिस्तान का हमला होने के बाद समूचा विश्व भारत की ओर उम्मीदभरी निगाहों से देख रहा है। 
 
दरअसल सदियों से विश्व को शांति का संदेश देने वाले भारत को शांति का मसीहा ही कहा जाता है। यह वह देश है जिसके नेतृत्व, त्याग, समर्पण, सहनशीलता को विश्व आज भी मानता है। 
 
अब समूचा विश्व भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहा है। दरअसल यह दौर एक ऐसा दौर रहा जब अमेरिका आर्थिक विकास की अस्थिर खाई में गिरता जा रहा है। अफगानिस्तान में लंबे समय तक पदस्थ उसकी सेना थक चुकी है, विश्व में और कोई शक्ति सीधे आतंकी चुनौती का सामना नहीं कर सकती। मगर योरप से ऐशिया तक, सीरिया से सिडनी तक हर कहीं आतंक का कोहराम मचा है। हाथ में गन और हैंडग्रेनेड थामकर यहां वहां दौड़ते सोलह वर्ष के फिदायिनों को रोकने की जरूरत है लेकिन ऐसा साहस विश्व में किसी के पास नहीं है। 
 
भारत सदियों से वीरता, त्याग, तपस्या के लिए जाना जाता है। इस देश के बारे में कहा जाता है कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा। सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा। 
 
यही बात एक बार फिर विश्वपटल पर सभी देश कहना चाहते हैं। हर ओर चीत्कार, और आंसूओं का मंज़र है। मगर भारत आतंक का यह दंश सदियों से झेलता आ रहा है। जिस तरह से आईएसआईएस विश्व पटल पर आतंक की नई करतूतों में लगा है उससे यही संकेत मिलता है कि विश्व अब इस समस्या से स्थाई निजात पाना चाहता है। 
 

ऐसे में हमेशा से एशिया के विकासशील देशों को अपने पैर की जूती समझने वाले योरप को आगे बढ़कर भारत का अभिवादन करना होगा और भारत के नेतृत्व में आतंक के खिलाफ जंग का आगाज़ करना होगा। भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर पधारने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी इस अमर राष्ट्र के प्रभाव को स्वीकारना होगा। तभी आतंक के भस्मासुर को समाप्त किया जा सकेगा। 

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