भारत के लिए आज अहम दिन, हॉकी और जिम्नास्ट में जीत की उम्मीद

नई दिल्ली : रियो ओलिम्पिक में पदकों के मामले में भारत की झोली अब तक खाली है. किसी भी खेल में कोई पदक नहीं मिला है. इस नजरिये से आज रविवार का दिन भारत के लिए अहम है. हॉकी में एक तरफ जहां क्वार्टरफाइनल में बेल्जियम से मुकाबला है, तो वहीं 23 साल की दीपा कर्माकर जिमनास्टिक्स के फाइनल में उतरेंगी. बता दें कि 1980 के बाद पहली बार भारतीय हॉकी टीम क्वार्टरफाइनल में उतरेगी.

विश्व की पांचवीं रैंक वाली टीम इंडिया छठे रैंकिंग वाली बेल्जियम से खेलेगी. भारत अपने पूल में आखिरी स्थान पर था, तो वहीं बेल्जियम अपने पूल में पहले स्थान पर था. जहाँ तक भारत के मैचों का सवाल है तो भारत अपने मुकाबले में जर्मनी-हॉलैंड से हारा, आखिरी मुकाबले में कनाडा से मुकाबला ड्रा रहा, वहीं आयरलैंड और अर्जेंटीना पर जीत हासिल की. जबकि बेल्जियम को सिर्फ आखिरी मुकाबले में न्यूजीलैंड से हार मिली, वहीं बाकी सभी मुकाबले में जीत मिली.

यह देश के लिए गर्व  की बात है कि ओलिंपिक इतिहास में 120 साल में कोई भारतीय एथलीट जिमनास्टिक्स के फाइनल तक पहुंचा है. जिस दीपा से पदक की उम्मीद है उसे पांच साल की उम्र में सपाट तलवों की वजह से ट्रेनिंग के लिए भी रिजेक्ट कर दिया गया था. यही नही, जिस खेल मंत्रालय ने उनके फिजियो साजिद मीर को पहले रियो भेजने से इनकार कर दिया था, अब उन्हें वहां भेज दिया है.

स्मरण रहे कि दीपा जब महज पांच साल की थीं तो भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के कैम्प में ट्रेनिंग लेने पहुंची थी तब उनके फ्लेट फीट (तलवों का सपाट होना) थे. इसकी वजह से साई में उन्हें ट्रेनिंग के लिए भी रिजेक्ट कर दिया गया था. दरअसल, जिमनास्टिक्स में सपाट तलवों को बहुत बड़ी कमी माना जाता है. इसकी वजह से उछलने में दिक्कत आती है. दीपा के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने भी खुद दीपा को रिजेक्ट किए जाने की बात मानी है. फ्लेट फीट की कमी दूर करने के लिए दीपा कई घंटोंं तक पंजे मोड़कर खड़ी रहतीं थी, इससे उनकी फ्लेट फीट की दिक्कत काफी हद तक दूर हो गई.

मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं : दीपा

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