भारत की रणनीतिक पहल से डरा आतंक का वाहक पाकिस्तान!

इन दिनों विश्वभर में एक मसला प्रमुखता से छाया हुआ है सभी के बीच एक ही सवाल है क्या भारत पाकिस्तान पर हमला कर वहां मौजूद आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करेगा या फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी कार्रवाई होगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो क्या भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होगा। इन सभी बातों का जवाब और तथ्य तो भविष्य के गर्भ में छुपा है लेकिन इतना जरूर है कि इन बातों के जवाब आतंकवाद से जुड़े हैं। भारत विश्व समुदाय को आतंकवाद के प्रति जागरूक करता रहा है। भारत इस्लामिक आतंकवाद का विरोध भी करता रहा हैं

मगर विश्व समुदाय अब उसकी बातों पर गंभीरता से ध्यान दे रहा है। वैश्विक समुदाय भी पाकिस्तान की धरती से उपजने वाले आतंकवाद को लेकर अपना विरोध जताने लगा है। ऐसे में पाकिस्तान की काफी मुश्किल हुई है। हालांकि भारत के खिलाफ अभियान में चीन उसका एक भागीदार हो सकता है हर बार भारत और पाकिस्तान के मसले पर अप्रत्यक्षतौर पर पाकिस्तान का साथ देने वाला चीन इस बार चुप ही है।

माना जा रहा है कि चीन आतंकवाद के मसले पर बचकर ही रहना चाहता है ऐसे में चीन के नेताओं की कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। इससे माना जा रहा है कि चीन भी आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान का साथ देने से बचना चाहता है। भारत पहले ही पाकिस्तान को विश्व में आतंकवाद के मसले पर अलग - थलग करने का मन बना चुका है। दूसरी ओर पाकिस्तान सिंधु जल संधि तोड़ने की बात कर भारत ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने की तैयारी कर ली है।

यदि यह जल संधि टूट गई और पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को रोक दिया गया तो पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी इससे प्रभावित हो सकती है। पाकिस्तान को ऊर्जा जरूरत के मसले पर भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अब तक अपने आसमान में एफ 16 उड़ाकर भारत को डराने का प्रयास करने वाले और परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान को अहसास तक नहीं हुआ होगा कि भारत इस तरह के रणनीतिक रवैये को अपना सकता है।

बहरहाल आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के लिए भारत का रूख एक चेतावनी है कि उन पर आर्थिक और कई तरह के प्रतिबंध लग सकते हैं जिससे वे विश्व समुदाय से अलग हो सकते हैं ऐसे में उनका विकास, आर्थिक गतिविधियां सभी कुछ प्रभावित होगा।

'लव गडकरी'

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