जल ही जीवन है इस वाक्य से मानव जीवन में जल की महिमा के बारे साफ़ पता चलता है. भूमि पर पेयजल का सबसे बड़ा स्रोत अब संकट में आ गया है. कृषि, बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों के विकास से एक तिहाई भूजल बेसिन में भूजल के स्तर में तेजी से कमी देखी जा रही है. इससे भारत, चीन अमेरिका और फ्रांस में बड़ी संख्या में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. 10 साल तक चला शोध अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ट्विन ग्रेस उपग्रहों की तस्वीरों के माध्यम से यह बात सामने आई है कि 2003 से 2013 के बीच जितना पानी इन बेसिन में पहुंचता है, उससे कहीं ज्यादा मात्रा में जल अवशोषित हो रहा है. इस कारण बेसिन के भू जल स्तर में तेजी से गिरावट देखी जा रही है. सोना, लोहा, गैस और तेल के खनन से आदि पर भी बेसिन के जल के गिरते स्तर का प्रभाव देखा जा सकता है. समुद्र में जल अधिक मात्रा में पहुचना भी इसका एक कारण है. सूखे के वक्त भूजल का सबसे अधिक प्रयोग. दुनिया में 35 फीसदी पेयजल आपूर्ति का स्र्रोत बेसिन है. अकाल के समय इस पर दबाव अधिक होता है. इसका कारण पानी के बाकी स्रोत जैसे नदी, नहर आदि गर्मी के कारण खाली हो जाते है. सूखाग्रस्त कैलिफोर्निया में अभी 60 फीसदी पानी की आपूर्ति भूजल के माध्यम से हो रही है , जो सामान्य रूप से 40 प्रतिशत ही रहता है. ये क्षेत्र होगे सबसे अधिक प्रभावित उत्तरी-पश्चिम भारत, पाकिस्तान, उत्तरी अफ्रीका पानी के वैकल्पिक साधन उपलब्ध न होने से दिक्कत बढ़ी इन बेसिन पर अधिक दबाव उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान की सिंधु बेसिन कृषि से संपन्न कैलिफोर्निया की सेंट्रल वैली मुरजुक-डिजादो बेसिन लीबिया और नाइजर इराक और सऊदी अरब की अरब बेसिन भूजल बेसिन पर खतरा - 37 बड़ी भूजल बेसिन हैं दुनिया में - 21 के जल स्तर में गिरावट, 13 की स्थिति बेहद खराब - 02 अरब लोगों को इन बेसिनों से मिलता है जल जे फेमिग्लिटी (मुख्य शोधकर्ता, नासा जेट प्रोपल्सन लैब) ने जानकारी दी कि "अभी तक यह अनुमान नहीं लगाया गया है कि सबसे अधिक किन बेसिनों से जल लिया गया और उसमें अब कितना पानी शेष बचा है. जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में वृद्धि से भविष्य में स्थिति और भी बेकार होने की संभावना है."