इस विशेष मंदिर में भाई यम के साथ बहना भी विराजित है

प्राचीन काल से ही भारत धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है भारत की भूमि पर बहुत से देवी देवताओं ने जन्म लिया है जिसके कारण इसे देव भूमि भी कहा जाता है यहाँ ऐसे बहुत से धार्मिक रहस्य है जिन्हें जानना अभी भी शेष है. यदि भारत के धार्मिक इतिहास की बात की जाए तो यहाँ बहुत से ऐसे मंदिर है जो अपने आप में एक अलग ही स्थान रखते है. इन मंदिरों की कोई न कोई विशेषता अवश्य होती है जिसके कारण इन्हें जाना जाता है. आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के इतिहास के विषय में बताएँगे जिसे हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है आइये जानते है इस मंदिर की विशेषता व इसका इतिहास क्या है?

भारत के हिमालय क्षेत्र के पश्चिम भाग में समुद्र तल से लगभग 3235 मीटर की ऊंचाई पर माता यमनोत्री का मंदिर स्थापित है. शास्त्रों के अनुसार माता यमुना सूर्य देव की पुत्री कही जाती है व मृत्यु के देवता यम की छोटी बहन है. यमनोत्री के मंदिर में माता यमुना के साथ उनके बड़े भाई यम की मूर्ती भी स्थापित है.

माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण 19 वीं सदी में जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था. हिन्दू धर्म में चार धामों की यात्रा का बहुत महत्व है यदि व्यक्ति चारों धामों की यात्रा कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्रप्ति होती है. इन्ही चारों धामों में से एक धाम यमनोत्री मंदिर भी है.  यमनोत्री मंदिर से ही यमुना नदी का उद्भव हुआ है तथा इसके पास ही दो पवित्र कुंड भी है जिन्हें सूर्य कुंड व गौरी कुंड कहा जाता है. यमनोत्री मंदिर के कपाट वर्ष की अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते है तथा दीपावली के दूसरे दिन इन्हें बंद कर दिया जाता है.

 

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