कुछ यादें 1965 के, भारत-पाक युद्ध की समाप्ति की

जो लोग नई पीढ़ी के हैं, वे शायद इतिहास के इस पहलू से वाकिफ न हों, कि 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध का समापन आज ही के दिन यानी 22 सितंबर 1965 को हुआ था. पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा घोंपकर इस जंग की शुरुआत की थी. आइये जानते हैं इस युद्ध से जुड़ी प्रमुख बातें.

जैसे कि पता ही है कि 1962 में चीन से हुए युद्ध के 3 साल बाद पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर हमला कर दिया था. दरअसल यह युद्ध पाकिस्तान के गुप्त ऑपरेशन का हिस्सा था, जिसमें पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ इलाके के कज़रकोट पर हमला किया और बाद में जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाया अगस्त से शुरू हुआ ये युद्ध 22 सितंबर को खत्म हुआ था.

उल्लेखनीय है कि 1965 के इस जंग की बुनियाद जनवरी 1965 में ही रख दी गई थी. जब पाकिस्तानी सेना ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में ऑपरेशन 'डेसर्ट हॉक' शुरू किया था. पाकिस्तानी सेना का उद्देश्य यह था कि वो भारतीय सेना को गुजरात में उलझाए रखें और कश्मीर में वो मोर्चा खोल दें.पाक ने ऐसा ही किया. कच्छ में मोर्चा तो खोला ही कश्मीर में 33 हजार घुसपैठियों को दाखिल करा दिया. लेकिन 28 अगस्त 1965 को भारतीय सेना ने , पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अंदर 8 किमी तक हाजी पीर पास पर कब्ज़ा कर लिया था.

खास बात यह है कि इस युद्ध में लाल बहादुर शास्त्री के कड़े फैसले के कारण पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी . भारतीय सेना को पूरी छूट दिए जाने के कारण ही सेना अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गई थी. इस युद्ध में अब्दुल हमीद ने 7 पाकिस्तानी पैटन टैंकों को अकेले तबाह कर दिया था. इस अदम्य साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. आखिर 22 सितंबर 1965 के दिन संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद भारी युद्ध के बीच भारत और पाकिस्तान ने युद्ध विराम की घोषणा की थी.

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