इक राज रखा हैं मैंने

बेवफाई को भी तेरी, इक राज रखा हैं मैंने बेपनाह मोहब्बत का ये अंदाज रखा हैं मैंने . गनीमत हैं ये कलम भी तुझसे बदतमीजी करें मेरी शायरी में भीे तेरा, लिहाज रखा हैं मैनें। . छलकती हैं आज भी कभी तनहाई मेेें आँखे तो लगता हैं की तुझे ही, नाराज रखा हैं मैंने।

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