कैसे बचे राहु के प्रकोप से

गोमेद धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।

गोमेद को बंगाल में मोदित मणि के नाम जानते हैं।

ये नकारात्मक ऊर्जा को सकारत्मक ऊर्जा में बदल देता है। असली गोमेद को उसके रंग एवं चमक से पहचाना जा सकता है। 

आयुर्वेद के अनुसार गोमेद की भस्म का सेवन करने से बल एवं बुद्धि बढ़ती है। पेट की खराबी में गोमद की भस्म काफी फायदेमंद होती है। राहु बहुत जल्दी फल देने वाला ग्रह है, इसीलिए गोमेद पहनने से राहु से मिलने वाले शुभ फलों में तेजी आती है।

गोमेद रत्न के गुण

राहू कुंडली में यदि केंद्र में विराजमान हो अर्थात 1,4,7,10 भाव में तो गोमेद अवश्‍य धारण करना चाहिए।

अगर राहूं दूसरे, तीसरे, नौवे या ग्‍यारवें भाव में राहू हो तो भी गोमेद धारण करना बहुत लाभदायक होगा।

राहू अगर अपनी नीच राशि अर्थात धनु में हो तो गोमेद पहनना चाहिए।

राहू मकर राशि का स्‍वामी है। अत: मकर राशि वाले लोगों के लिए भी गोमेद धारण करना लाभ फलों को बढ़ाता है।

राहू अगर शुभ भाव का स्‍वामी है और सूर्य के साथ युति बनाए या दृष्‍ट हो अथवा सिंह राशि में स्थित हो तो गोमेद धारण करना चाहिए।

शुक्र, बुध के साथ अगर राहू की युति हो रही हो तो गोमेद पहनना चाहिए।

गोमेद पत्थर को शनिवार को अंगूठी में जड़वा के धारण करना चाहिए 

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