भगवान की शरण में कालाधन, लबालब भरने लगी दान पेटियां

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 1000 और 500 के नोट बंद करने की घोषणा करते ही कालाधन रखने वाले लोगो की परेशानी बढ़ गई. सरकार का यह फैसला आते ही देश के तमाम ऐसे लोगो अपनी ब्लैक मनी को ठिकाने में लगाने में जुट गए जिनके पास वर्षो से कलाधन रखा हुआ है. एक तरफ आम इंसान अपनी ईमानदारी के पैसो को बदलने के लिए घंटो तक बैंक की लाइन में लगा हुआ है वही दूसरी और कालाधन रखने वाले लोग बैंक में पैसा जमा करने के बजाय उसे ठिकाने लगाकर सफ़ेद करने में लगे हुए. देशभर में कई जगहों से ऐसी भी खबरे आने लगी है कि लोग अब अपने कालेधन को मंदिरो में भगवान की शरण में ठिकाने लगाने लगे है.. तो आइए न्यूज़ ट्रैक आपको बताने जा रहा है की किस तरह से लोग अब मंदिरो की दान पेटियो की आड़ लेकर अपनी ब्लैक मनी को वाइट करने में लगे है...

चाय की दुकानों से लेकर शहर की सड़को और चौराहो पर यही बात हो रही कि बड़े नोट अचानक बंद होने के बाद लोग अपने पास जमा कालेधन को गंगा नदी सहित कई जगहों पर फेंकने में लगे हुए लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने अपने कालेधन से जरा सा भी हिस्सा मंदिरो में नही दिया लेकिन अब उनकी ऐसी कृपा होने लगी की मंदिरो में लगी दान पेटिया अचानक लबालब भरने लगी. यह सब हो रहा है मंदिरो के ट्रस्ट और कालाधन रखने वाले लोगो की मिलीभगत से. ये लोग बड़ी आसानी से कालेधन को मंदिरो में आने वाले दान के रूप में दर्शाकर उसे सफ़ेद करने में लगे हुए जिसकी भनक किसी को नही लग रही है और न ही कोई इस पर एक्क्शन लेने वाला है.

 गरीब और आम इंसान तो अपने पैसे को बैंक में जमा करने के लिए कई तरह की मुसीबत उठा रहा है लेकिन बड़े बड़े धन्ना सेठ और उद्द्योगपतियो जिन्होंने टेक्स की चोरी करके सालो से कालाधन जमा कर रखा है वो अब मंदिरो की दान पेटियो के सहारे उसे रस्ते लगाने में लगे हुए है.. कालेधन को सफ़ेद करने की कालाबाजारी का यह सिलसिला अगर इस तरह से चल रहा है तो फिर केंद्र की मोदी सरकार की नोट बंद करने की नीति कहा तक सफल हुई यह भी एक सोचने वाली बात है.. ऐसे में कहा जा सकता है की भले ही पीएम मोदी के इस फैसले की आम इंसान सराहना करता हो और काफी हद तक यह फैसल सही भी हो लेकिन सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से काले धन को जड़ से मिटाने में कारगार नही है.

संदीप मीणा 

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