अभिनेता आमीर खान के बढ़ती असहिष्णुता के बयान पर ताजा रचना तूने कहा,सुना हमने अब मन टटोलकर सुन ले तू, सुन ओ आमीर खान,अब कान खोलकर सुन ले तू, तुमको शायद इस हरकत पे शरम नहीं आने की, तुमने हिम्मत कैसे की जोखिम में हमें बताने की शस्य श्यामला इस धरती के जैसा जग में और नहीं भारत माता की गोदी से प्यारा कोई ठौर नहीं घर से बाहर जरा निकल के अकल खुजाकर पूछो हम कितने हैं यहां सुरक्षित, हम से आकर पूछो पूछो हमसे गैर मुल्क में मुस्लिम कैसे जीते हैं पाक, सीरिया, फिलस्तीन में खूंन के आंसू पीते हैं लेबनान, टर्की,इराक में भीषण हाहाकार हुए अल बगदादी के हाथों मस्जिद में नर संहार हुए इजरायल की गली गली में मुस्लिम मारा जाता है अफगानी सडकों पर जिंदा शीश उतारा जाता है यही सिर्फ वह देश हे जहां सिर गौरव से तन जाता है यही मुल्क है जहां मुसलमान राष्ट्रपति बन जाता है इसकी आजादी की खातिर हम भी सबकुछ भूले थे हम ही अशफाकुल्ला बन फांसी के फंदे झूले थे हमने ही अंग्रेजों की लाशों से धरा पटा दी थी खान अजीमुल्ला बन लंदन को धूल चटा दी थी ब्रिगेडियर उस्मान अली इक शोला थे,अंगारे थे उस सिर्फ अकेले ने सौ पाकिस्तानी मारे थे हवलदार अब्दुल हमीद बेखौफ रहे आघातों से जान गई पर नहीं छूटने दिया तिरंगा हाथों से करगिल में भी हमने बनकर हनीफ हुंकारा था वहाँ मुसर्रफ के चूहों को खेंच खेंच के मारा था मिटे मगर मरते दम तक हम में जिंदा ईमान रहा होठों पे कलमा रसूल का दिल में हिंदुस्तान रहा इसीलिए कहता हूँ तुझसे,यूँ भड़काना बंद करो जाकर अपनी फिल्में कर लो हमें लडाना बंद करो बंद करो नफरत की स्याही से लिखी ये पर्चेबाजी बंद करो इस हंगामें को, बंद करो ये लफ्फाजी यहां सभी को राष्ट्र वाद के धारे में बहना होगा भारत में भारत माता का बनकर ही रहना होगा भारत माता की बोली भाषा से जिनको प्यार नहीं उनको भारत में रहने का कोई भी अधिकार नहीं