वैश्विक मापदंडों पर आप कितने स्वस्थ्य हैं ?

मीडिया द्वारा बहुत सुनने में आ रहा है कि आजकल स्वास्थ्य (Health) के बारे में जागरूकता बहुत बढ़ रही है | अब लोग योग अधिक सीख रहे हैं, जिम अधिक जा रहे हैं, मॉर्निंग /इवनिंग वाक भी अधिक करने लगे हैं और हेल्दी डाइट पर भी ध्यान दे रहे है | लेकिन क्या स्वास्थ्य और खासतौर पर 'वेलनेस' क्या इन्ही चीजों से पाई जा सकती है ? स्वास्थ्य को हम पहला सुख मानते हैं, पर क्या हम जानते हैं कि विश्व-स्तर पर 'स्वास्थ्य' किसे माना गया है ? हम वास्तव में कितने स्वस्थ्य हैं यह समझने के लिए जरुरी है कि हम सबसे पहले यह जाने कि विश्व में स्वास्थ्य की सर्वाधिक मान्य परिभाषा क्या है ? उसे समझने के बाद, निश्चित ही स्वास्थ्य के बारे में हमारी सोच-समझ को नया विस्तार मिलेगा और हमारा नजरिया बदलेगा | संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सम्बन्धी मसलों के लिये एक शीर्ष संस्था बनायीं गयी है "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)" | इसके संविधान में ही स्वास्थ्य की यह परिभाषा दी गयी है -

"स्वास्थ्य व्यक्ति के भौतिक (शारीरिक), मानसिक व सामाजिक रूप से अच्छे होने की अवस्था है; यह केवल बिमारियों या केवल शारीरिक दोषों के अभाव का नाम नहीं है" | अब यदि हम इस छोटी सी परिभाषा पर गौर करें तो इसमें स्वास्थ्य के तीन पक्ष बताये गए हैं:- 1) शारीरिक, 2) मानसिक एवं 3) सामाजिक | अधिकतर स्वास्थ्य की जब बात होती है तो एक ही पक्ष यानि शारीरिक स्वास्थ्य की ही बात होती है और उसके भी दो आधारों यानी भोजन और व्यायाम पर सबसे अधिक फोकस होता है | शारीरिक स्वस्थ्य के अन्य आधारों यानि संतुलित दिनचर्या, समुचित विश्राम, स्वच्छता, शुद्ध वायु-सेवन एवं ऋतु-चर्या पर कम ही बात होती है | दूसरे दो पक्षों अर्थात मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को तो अधिकतर लोग ठीक से समझते ही नहीं है |

तो आइये जरा इन्हे स्पष्ट रूप से समझे:- मानसिक स्वस्थ्य आमतौर पर तो यदि किसी के बारे में कहा जाये कि 'उसका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है', तो लोग इसका मतलब समझते हैं कि उसे पागल या असंतुलित दिमाग वाला कहा जा रहा है | जबकि मानसिक स्वास्थ्य मन के अस्वस्थ्य या असामान्य होने की अवस्था को भी कहते है | तनाव (stress), निराशा (Depression), चिड़चिड़ापन (Irritability) आदि अवस्थाओं को भी मानसिक अस्वस्थ्यता ही माना जायेगा, जो कि छोटे या बड़े स्तर की, थोड़े समय या लम्बे समय की, सामान्य या गंभीर कैसी भी हो सकती है | कुछ अन्य मानसिक या मनोरोगों के नाम तो आपने भी सुने होंगे; जैसे अति-भय (Phobias), उत्तेजना (Anxiety, Panic), उन्माद (Obsession), अनिद्रा (Insomnia), Obsessive-Compulsive Disoeder (OCD), Schizophrenia, Hysteria, Amnesia, Dementia, Autism, आदि | लेकिन ये सब तो मनोरोगों के नाम है; जबकि WHO की परिभाषा के दूसरे भाग में कहा गया है कि स्वास्थ्य केवल रोग या बीमारी के आभाव का नाम नहीं है | अभिप्राय यह है कि हम मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य तभी मने जायेंगे जबकि हर मामले में हमारा व्यवहार सामान्य हो, मन, मस्तिष्क और शरीर से एकाग्र/ समन्वित होकर अपने काम करते हों और सबसे बढ़कर हम सकारात्मक सोच के साथ अपने में निहित संभावनाओं (प्रतिभाओं) के विकास एवं बेहतर इस्तेमाल की दिशा में सतत आगे बढे |

सामाजिक स्वास्थ्य WHO ने इसके अंतर्गत समाज के विभिन्न वर्गों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति और उनसे जुड़े हुए स्वास्थ्य के मसलों को इसमें शामिल कर लिया है | जिससे यह विषय बहुत ही विस्तृत हो गया है, यह अप्रोच कुछ हद तक विवादास्पद है | मेरी दृष्टि में बेहतर यह है कि इसके अंतर्गत केवल व्यक्ति के अपने स्तर पर, "वह अपने परिवार, समाज व परिवेश में कैसा महसूस करता है, उनके साथ उसका सम्बन्ध कैसा है (सुसमायोजित है या नहीं) और स्वयं के साथ ही परिवार, समाज व परिवेश की बेहतरी में भी उसका योगदान कैसा है" ऐसे प्रश्नों पर ही इसके दायरे में लाना चाहिए |

फ़िलहाल यदि WHO के नजरिये से देखें तो एक स्वस्थ्य समाज में ही स्वस्थ्य व्यक्ति रह सकते हैं अर्थात उनका अभिप्राय यह है कि दुनिया के सभी मनुष्यों को अच्छे स्वस्थ्य जीवन के लिए उपयोगी सभी संसाधन मिल पाये और पूरा मानव समाज हर तरह से स्वस्थ्य लोगों के लिए स्वास्थ्य-पूर्वक रहने लायक बन जाये, तो ही सामाजिक स्वास्थ्य अच्छा कहा जायेगा | यह प्रशंसनिय है, किन्तु बहुत ही अधिक महत्वकांक्षी और फैली हुई धारणा है; जिसमें सभी सामाजिक विज्ञान समा जाते है और यह विषय स्वास्थ्य के विषय से बहुत अलग ही हो जाता है | इस आधार पर विषमताओं से भरे हुए भारत सहित विश्व के अधिकांश देश फिसड्डी और 90 प्रतिशत से अधिक आबादी अस्वस्थ्य या बीमार साबित होती है |

* हरिप्रकाश 'विसंत'

Related News