संसद के विभिन्न सदनों में सांसदों द्वारा आधिकांशतः बहस ही की जाती है। बहस पर बहस, बहस पर बहस। लगता है। सांसद देश में पारित होने वाले अधिनियमों पर नहीं बल्कि बहस की रणनीति को लेकर योजना तैयार करते हैं। नागरिकों से प्राप्त होने वाले राजस्व और कोष का एक बड़ा भाग सांसदों पर खर्च होता है लेकिन फिर भी सांसद बिना बात की बहस करते हैं। कई बार तो वाॅक आउट और विवाद से ही सांसद सदन को स्थगित करवा देते हैं, यानि उस दिन सांसदों की छुट्टी हो जाती है और उन्हों संसद के पकाउ सत्रों से आजादी मिल जाती है।