HIV पीड़ितों को मिले बीमा सुविधाएँ

नई दिल्ली : राज्यसभा की स्थाई समिति ने एचआईवी पीड़ितों के खिलाफ भेदभाव बंद करने से संबंधित एक विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि एचआईवी संक्रमित लोगों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा सुविधाएं प्रदान करने में कोई भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए। उन्हें बीमा सुविधाएं सामान्य दर पर ही मुहैया कराई जाएं। ह्यूमन इम्युनोडिफिशियंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यून डिफिशियंसी सिंड्रोम (बचाव और नियंत्रण) विधेयक 2014 पर राज्यसभा की स्थाई समिति ने केंद्र सरकार से लोकपाल की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश बनाने को कहा।

विधेयक के मुताबिक लोकपाल की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 23.9 लाख लोग एचआईवी/एड्स से संक्रमित हैं। इस तरह दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत का तीसरा स्थान है। इस विधेयक में एचआईवी/एड्स को फैलने से रोकने और इसके बचाव, एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के साथ भेदभाव, उनके इलाज के लिए आपसी सहमति और गोपनीयता, उनके अधिकारों की सुरक्षा करना और उनकी शिकायतों के निपटारे के लिए तंत्र की स्थापना करना शामिल हैं।

समिति ने अपनी रपट में कहा है कि एचआईवी संक्रमित लोगों को बीमा सुरक्षा दिए जाने के दौरान उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाए। समिति ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सुझाव दिया है कि इस मुद्दे को बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि किसी भी तरह के भेदभाव के साथ सभी एचआईवी संक्रमित लोगों को बीमा सुविधा दी जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हालांकि, समिति को बताया कि इरडा इस तरह के लोगों को सामान्य दरों पर बीमा सुरक्षा देने के पक्ष में नहीं है।

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