ओणम : केरल का सबसे बड़ा त्यौहार, एक असुर का किया जाता है स्वागत

दक्षिण भारत के प्रमुख त्यौहारों में ओणम का ख़ास महत्व है। यूं तो इस त्यौहार को दक्षिण भारत और पूरे भारत में ही मनाया जाता है, हालांकि केरल में इसे बड़े धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को विशेष रूप से खेतों में फसल लहलाने(फसल पकने) हेतु मनाया जाता है। ओणम के दिन घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 

ओणम के त्यौहार के पीछे एक पौराणिक मान्यता भी बेहद प्रचलित है। जिसके मुताबिक़, ओणम का त्यौहार एक असुर के स्वागत के लिए मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता की माने तो केरल में महाबली नामक एक असुर राजा हुआ करता था। हालांकि विशेष रूप से इस त्यौहार का संबंध खेती से है। किसानों के लिए यह किसी महापर्व की तरह होता है।

ओणम के दिन लोग अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी का पूजन करते हैं। दक्षिण भारत में इस दिन दिवाली जैसा नजारा देखने को मिलता है। लोग इस दिन घर की साफ़-सफाई करते हैं और किसी नई दुल्हन की भांति घर को पुष्प से सजाया जाता है। बता दें कि गणेशोत्सव की तरह घर को फूलों से निरंतर 10 दिनों तक सजाया जाता है। वहीं इस दिन घर और घर के बाहर रंगोली भी बनाई जाती है।  

इतना ख़ास होता है पर्व

ओणम पर्व को केरल की सरकार का भी समर्थन रहता है। केरल की सरकार इस दिन को पर्टयक त्यौहार का नाम देती है। इस दिन नाव रेस, डांस, संगीत आदि के सांस्कृतिक आयोजन के साथ महाभोज का आयोजन भी करवाया जाता है। वहीं लोग इस दिन स्वादिष्ट मीठे व्यंजन के साथ ही प्रमुख रूप से से पचड़ी काल्लम, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स, ओल्लम, दाव, घी आदि बनाते हैं।  

 

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