चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं

चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं, जिधर न हो कोई ग़म, वो जगह ढूंढते हैं ! बहुत उड़ लिए ऊंचे आसमानों में यारो, चलो जमीं पे ही कहीं, हम सतह ढूंढते हैं ! छूटा संग कितनों का ज़िंदगी की जंग में, चलो उनके दिलों की, हम गिरह ढूंढते हैं ! बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में, चलो अँधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं !!!

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