बेगाने होते लोग देखे, अजनबी होता शहर देखा

बेगाने होते लोग देखे,  अजनबी होता शहर देखा  हर इंसान को यहाँ,  मैंने खुद से हीं बेखबर देखा। 

रोते हुए नयन देखे,  मुस्कुराता हुआ अधर देखा  गैरों के हाथों में मरहम,  अपनों के हाथों में खंजर देखा। 

मत पूछ इस जिंदगी में,  इन आँखों ने क्या मंजर देखा  मैंने हर इंसान को यहाँ,  बस खुद से हीं बेखबर देखा।

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