किसान को शहीद का सम्मान देने पर हाई कोर्ट ने लगाई आप को फटकार

नई दिल्ली : अच्छे दिन वाली मोदी सरकार में दिल्ली की आप सरकार के बुरे दिन चल रहे है. आये दिन किसी न किसी बात को लेकर आप विवादों के घेरे में आ ही जाती है चाहे वो बिजली का बिल हो या ललित मोदी विवाद. अब एक बार फिर से आप पार्टी नए विवाद के साथ सुर्ख़ियो में आई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर-मंतर पर आत्महत्या कर मौत को गले लगाने वाले किसान गजेंद्र को शहीद की उपाधि प्रदान करने को लेकर सवाल उठाये जा रहे है.

इस निर्णय पर केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाई कोर्ट ने खरी खोटी सुनाई है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाया है कि किसान को शहीद का दर्जा किसने, कैसे और किन नियमों को आधार मान कर देने का निर्णय किया है? हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है की इन सवालो का चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करे.

निर्णय आत्महत्या को गरिमा प्रदान करने वाला है

आत्महत्या की तुलना शहादत से करना बिलकुल गलत है.ऐसा कर के केजरीवाल सरकार आत्महत्या को गौरव प्रदान करने का काम कर रही है जो अनुचित है. 22 अप्रैल 2015 को राजस्थान के दौसा के निवासी किसान गजेंद्र ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर पेड़ पर चढ़कर कथित रूप से खुद को फांसी लगा कर आत्हत्या कर ली.  यह घटना केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल के विरुद्ध आम आदमी पार्टी द्वारा संचालित की रैली के समय हुई थी. दिल्ली सरकार ने उसे 'शहीद' का सम्मान देने का निर्णय  दिया था.

दिल्ली सरकार के इस निर्णय के विरोध में हाईकोर्ट में एक वकील ने याचिका दायर की थी. याचिका में सीएम अरविंद केजरीवाल को किसान गजेंद्र सिंह की याद में प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा पर रोक लगाने की मांग की गयी थी. याचिका में यह भी मांग उठायी गयी है कि इस प्रकार के निर्णय से आम जनता में गलत सन्देश प्रेषित होता है और यह आत्महत्या जैसे अपराध को गौरव प्रदान करना है.

जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन सही नहीं है

याचिका में हाईकोर्ट से दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की अपील की है कि वह भविष्य में किसी व्यक्ति, पार्टी या समूह को जंतर-मंतर पर किसी प्रकार की हड़ताल या प्रदर्शन करने की स्वीकृति प्रदान नहीं की जावेगी.

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