रोटोमैक लोन घोटाले का काला सच

नई दिल्ली: बैंकों का पैसा हज़म करने वालों में शामिल रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विक्रम कोठारी के बारे में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ा खुलासा किया है. सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी, साधना कोठारी और राहुल कोठारी समेत घोटाले में शामिल अज्ञात बैंक अधिकारीयों पर भी मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपियों से पूछताछ की है, जिसमे चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं.

सीबीआई के अनुसार बैंक से कर्ज लेकर वापिस न करने का यह गोरखधंधा रोटोमैक कंपनी वर्ष 2008 से कर रही है और जिस काम के लिए कंपनी रकम उधर लेती थी उसे किसी और जगह लगाती थी. सीबीआई ने बताया कि, कोठारी ने फर्ज़ी दस्तावेज़ों से फर्ज़ी कंपनियों का निर्माण किया था. कंपनी लोन के पैसे को किसी कारोबार के नाम पर विदेश भेजती थी और फिर वापस मंगा लेती थी, इस तरह से रोटोमैक विदेशी करेंसी में होने वाले उतर चढ़ाव का फायदा उठा रही थी. 

फर्ज़ी दस्तावेजों के साथ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से ये पूरा गोरखधंधा चल रहा था. जांच में ये बात सामने आई है कि, रोटोमैक कंपनी का लेन-देन कुछ  चुनिंदा खरीददारों और विक्रेता कंपनियों के साथ पाया गया है. गौरतलब है कि, कोठारी पर 7 बैंकों के 2919 करोड़ रूपए निगलने का आरोप है और अगर इस रकम में ब्याज जोड़ दिया जाये तो कुल देनदारी 3695 करोड़ रुपये बैठती है. फ़िलहाल कोठारी हिरासत में हैं और सीबीआई द्वारा उनसे पूछताछ जारी है, जिससे और भी कई खुलासे सामने आने की सम्भावना है. 

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