औषधि स्नान से मिलती है नवग्रह को शांति

हमारे यहां शास्त्रों में मानसिक शुद्धि के साथ ही शारीरिक पवित्रता को भी बहुत अहम माना गया है. स्नान किए बिना मन्दिर प्रवेश, पूजा-पाठ व भोजन करने तक की मनाही है .इसके साथ ही ग्रहजनित दोषों को दूर करने के लिए स्नान की कुछ विशेष प्रक्रिया भी शास्त्रों में उल्लेखित की गई है .इसमें सम्बन्धित सामग्री के मिश्रित जल से स्नान करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं .आइए जानते हैं क्या है ये औषधि स्नान.

बता दें कि नव ग्रहों की शांति के लिए प्रत्येक ग्रह के अनुसार संबंधित औषधियुक्त जल से स्नान करने की विधियां बताई गई है, जो ग्रहों के अनुसार निम्न हैं -

1. सूर्य- सूर्य के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए रोजाना स्नान के जल में इलायची,केसर,रक्त-चन्दन,मुलेठी एवं लाल पुष्प मिलाकर स्नान करने से लाभ होता है.

2. चन्द्र- चन्द्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में पंचगव्य, श्वेत चन्दन एवं सफ़ेद पुष्प मिलाकर स्नान करना चाहिए.

3. मंगल- जबकि मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त-चन्दन,जटामांसी,हींग व लाल पुष्प मिलाकर स्नान करना लाभदायी होता है.

4. बुध- जहाँ तक बुध के अशुभ प्रभाव का सवाल है तो इसके लिए प्रतिदिन स्नान के जल में गोरोचन,शहद,जायफ़ल एवं अक्षत मिलाकर स्नान करना अच्छा लाभ देता है.

5. गुरु- गुरु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में हल्दी,शहद,गिलोय,मुलेठी एवं चमेली के पुष्प मिलाने से लाभ होता है.

6. शुक्र- शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में जायफ़ल, सफ़ेद इलायची,श्वेत चन्दन एवं दूध मिलाकर स्नान करना चाहिए .

7. शनि- शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में सौंफ़, खसखस, काले तिल एवं सुरमा मिलाकर स्नान करने से इच्छित लाभ होने की बात कही गई है

8. राहु- राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में कस्तूरी,गजदन्त,लोबान एवं दूर्वा मिलाकर स्नान करने से यह ग्रह शांत होता है.

9. केतु- केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिदिन स्नान के जल में रक्त चन्दन एवं कुशा मिलाकर स्नान करना लाभप्रद माना गया है.

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