रावत का छलका दर्द....मेरा कार्यकाल भ्रष्टाचार से मुक्त

देहरादून : लगता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत उस बात से आहत है, जिसमें यह कहा गया था कि उनके कार्यकाल को भी भ्रष्टाचार की जांच में शामिल किया जाये। उनका कहना है कि वे ईमानदारी से कार्य करते है, इसलिये भ्रष्टाचार की जांच में उनके कार्यकाल को शामिल नहीं किया जाये। रावत का दर्द उस समय छलक उठा, जब संगठन के पदाधिकारियों ने उनसे मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा था।

बीजापुर स्थित कार्यालय में भ्रष्टाचार की जांच को लेकर ज्ञापन सौंपा गया। इस वक्त संगठन के कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी मौजूद थे। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मुख्यमंत्री रावत ने संगठन के पदाधिकारियों से यह कहा है कि उनके पूर्व की सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ होगा और इसकी ही जांच करानी चाहिये, लेकिन उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि संगठन के पदाधिकारी उनके ही कार्यकाल की जांच कराने की मांग क्यों कर रहे है।

बताया गया है कि वरिष्ठ नेता जीतसिंह बिष्ट के अलावा नवीन जोशी, आरपी रतुड़ी समेत संतोष कश्यप और अन्य कई संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सीएम हरीश रावत पर सवाल दागे। बताया गया है कि ज्ञापन सौंपते वक्त पदाधिकारियों ने फिर एक बार यही मांग दोहराई कि जिन मुद्दों पर जांच की मांग की जा रही है, उसमें रावत के कार्यकाल को भी शामिल किया जाये। 

ज्ञापन तो सीएम रावत ने पढ़ लिया परंतु उन्होंने संगठन पदाधिकारियों पर गुस्सा भी जताया और कहा कि उनका कार्यकाल पारदर्शी है। वे भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने के पक्षधर है। जिस स्थिति में उन्होंने राजनीति जीवन की शुरूआत की थी, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनके परिवार की वही स्थिति है। उनका संकेत संपत्ति आदि की तरफ था। उन्होंने यह तक भी कह दिया कि वे भले ही मुख्यमंत्री के पद पर काबिज है, लेकिन वे अपने भाई तक की नौकरी नहीं लगवा सके है। इससे बड़ा ईमानदारी का सबूत ओर क्या हो सकता है।

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