बेमकसद ज़िन्दगी यूँही गुमनामी में बिता रहे होते

आपसे ही सीखा आपसे ही जाना आप को ही हमने गुरु है माना न होते आप तो हम आज क्या होते? बेमकसद ज़िन्दगी यूँही गुमनामी में बिता रहे होते

 

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