जन्मदिन विशेष : हमेशा फेन्स के दिलों पर राज करेगा कलाइयों का यह जादूगर

भारत में क्रिकेट को भगवान माना जाता है और यहां लोग इस खेल को खेलते और देखते ही नहीं बल्कि जीते हैं. इस खेल ने देश को बहुत से ऐसे हीरे दिए हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में अपने खेल से भारत का डंका बजाया है. बात अगर क्रिकेट की हो तो कप्तान के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाने वाले कपिल देव, अपनी कप्तानी से पूरी दुनिया को जीतने वाले महेंद्र सिंह धोनी हो या फिर विरोधियों को उन्ही के अंदाज में जवाब देना सिखाने वाले सौरव गांगुली, ये सभी अपनी शानदार कप्तानी के लिए जाने जाते हैं. इस लिस्ट में एक और नाम है मोहम्मद अज़हरुद्दीन का, जिन्होंने भारत को जीतना सिखाया और अपने समय के सबसे सफल कप्तान बने. कप्तानी की बात छोड़ भी दी जाए तो दुनिया उन्हें ऐसे कलात्मक बल्लेबाज के तौर पर जानती है जिसकी कलाइयों का जादू पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना देता था. एक ऐसा क्षेत्ररक्षक जो चीते की तरह बॉल को लपकने में माहिर था. आज उसी शानदार खिलाड़ी के जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन के कुछ जाने अनजाने पहलुओं पर नजर डालने का मौका मिला है जिन्हें हम आपके साथ बांटना चाहते हैं.

मोहम्मद अज़हरुद्दीन का जन्म 8 फरवरी 1963 को हैदराबाद में हुआ था और उनके पिता का नाम मोहम्मद अज़ीज़ुद्दीन और माता का नाम यूसुफ़ सुल्ताना था. उनके घर में क्रिकेट का माहौल नहीं था लेकिन यह अज़हर का क्रिकेट के प्रति जूनून ही था जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया. बचपन में उनके पास न तो खेलने के ढंग का बल्ला होता था और ना ही पहनने के लिए जूते, होता था तो बस क्रिकेट खेलने का जूनून. उनके घर की तरफ जाने वाली गली ही इतनी तंग थी कि अज़हर वहां सिर्फ स्ट्रेट शॉट ही खेला करते थे और फिर भी आउट नहीं होते थे.

अपनी इसी लगन के कारण ही इस कलाइयों के जादूगर ने 21 साल की उम्र में 1984 में भारत के लिए टेस्ट कैप पहनी और इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले ही दौरे पर वो कारनामा कर दिखाया जो अब तक कोई और खिलाड़ी नहीं दोहरा पाया है. उन्होंने अपनी शुरूआती तीनों पारियों में शतक लगाए और दुनिया को यह चेतावनी दी कि अब विश्व क्रिकेट में उनका दौर शुरू हो चूका है. इसके बाद अज़हर ने मैदान पर जो कुछ भी किया वो सब इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज है. अपने कॉलर हमेशा ऊँचे रखने वाले अज़हर का अंदाज भी बाकी खिलाडियों से हमेशा अलग रहा.

इतने अच्छे करियर के बावजूद उनकी ज़िन्दगी में एक ऐसा पल आया जो उनके सुनहरे करियर पर एक दाग बन कर उभरा. साल 2000 में उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और इसने उनके कैरियर को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. उन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया जो 2012 तक जारी रहा. इसके बाद अज़हर ने राजनीति की राह पकड़ी और 2009 में एमपी बने.

प्रोफेशनल लाइफ की तरह अज़हर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी बहुत लाइमलाइट में रहे. उन्होंने अपनी पहली पत्नी नौरीन को तलाक देने के बाद एक्ट्रेस संगीता बिजलानी से शादी की और 2010 में उनसे भी तलाक ले लिया. इसके बाद अज़हर ने तीसरी शादी की.

अज़हरुद्दीन के अपनी पहली बीवी से दो बच्चे थे जिनमे से एक बच्चे अयाजुद्दीन की 2011 में सड़क हादसे में मौत हो गयी. हादसे के वक्त वो जो कार चला रहे थे वो उन्हें अज़हरुद्दीन ने ही गिफ्ट की थी. अज़हर की ज़िन्दगी पर एक फिल्म भी बन चुकी है जिसमे इमरान हाशमी ने अज़हर का किरदार निभाया था.

 

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