हमने तो दिल लगाया था

चेहरे को देखकर ही हमने तो दिल लगाया था पाक़ ए मुहब्बत को हमने चराग जलाया था ।।

रोशनी उसकी ज़माने को जगमगा देती यारो ! नज़र ने गैर की उनको मग़र बरगलाया था ।।

हर आस ओ उम्मीद मुहब्बत की बाक़ी अब भी  यूं तो दुनिया ने ख्वाब हर रोज़ हमें दिखलाया था ।।

कुछ है ही उनमें खास ज़माना क्या जानें हरवक़्त न होंगे पास कहॉ बतलाया था ।।

वफ़ा है करम में तो वफ़ा ही की है हमने साहब  मिलन ही बस वफ़ाई है चलन किसने चलाया था ।।

दिल का लगना लगाना हाथ में होता कौशिक दर्द ए दिल की दवा के बिन ही जश्न मनाया करते ।।

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