हमें होश में आना होगा

पानी है अगर मंजिल,हमें होश में आना होगा लगाकर खुद को दाँव पर,सब कुछ गवाना होगा स्वपन है सब रिश्ते-नाते हकीकत समझ रहा तू जिनको, अपनी मैं मैं समेत इन सबको,आखिर तुझे भूल जाना होगा  यू शान्ति मिलती नही बस कागजों को पड़ने से, विचारो की उठती तूफानी लहरों को भेदकर, गहरे सागर में उतर जाना होगा । कुछ मिलेगा नही गुरु की बाणी को सुनकर, सिर हिलाने से, श्रद्धा से एक एक वचन को पी जाना होगा ।

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