हम भी कुछ नदान थे

रात घटाएं जादू खुशबु जिसकी जुल्फों के पैगाम दिल के वरक पे ढूढ़ रहा हूँ उस सादा चेहरे का नाम तूने पहले देखा था या मेने अब ये याद नहीं सोच रहा हूँ किसको दूँ मैं दिल की तबाही का इल्जाम बिक जाएँ बाजार में हम भी लेकिन इससे क्या होगा जिस कीमत पर तुम मिलते हो उतने कहाँ है अपने पास दाम  तेरे मेरे बीच कितनी दीवारें हैं फिर भी तो हम भी कुछ नदान थे यारों कितने ख्वाब सजा बैठे वक्त भला क्या देता हमको वक्त को अपने काम से काम जलती बुझती यादें लेकर जब मिलती है शाम अक्सर दिल की दीवारों लिख देता हूँ तेरा नाम

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