हम अल्फाजों मे मिला लेते हैं

दर्दे दिल को हम अल्फाजों मे मिला लेते हैं । अपनी नाकामियों को गजल बना लेते हैं ।। हम हैं बंजारा कहां अपना आशियां कोई । जहां थम जायें वहीं बसर बना लेते हैं ।। हमने नायाब हुनर सीखा है ये दरिया से । जिधर मुड़ जायें उधर डगर बना लेते हैं ।। मुझको कहते हो तमाशाई, सही कहते हो । अपने शब्दों से ही हम आग लगा देते हैं ।। हमको चाहत का तरीका न तुम सिखाओ । इक मुलाकात मे दिल मे घर बना लेते हैं ।।

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