हजारों हमारी घात में रहे

अपने तो चारों धाम सदा, पास में रहे । मां-बाप जबतल्ख, हमारे साथ में रहे॥ . बूढ़ों के आशिर्वाद ने,हरवक्त बचाया वरना तो हजारों,हमारी घात में रहें . पत्थर की लकीरों सा,ईमान हो तेरा थोड़ा वजन तो आदमी की,बात में रहे। . देता है बहुत कुछ,और सबको दिया है बस आदमी उस पर,विश्वास में रहे ।। . हर मुश्किलों से जीत सदा,जाएगें "चंचल" बस आपके ये हाथ सदा, हाथ में रहे ॥

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