आखिर हाफिज क्यों बना मुशर्रफ का चहेता?

आतंकी हाफिज सईद के रिहा होने के बाद पकिस्तान जहां विश्व के सभी देशों के निशाने पर है, वहीं दूसरी ओर पकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एक बहुत ही चौकाने वाला बयान दिया है. मुशर्रफ ने कहा है कि वे लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करते हैं. मुशर्रफ मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की तारीफ करते हुए उसे बेहतर इंसान बताते है. परवेज मुशर्रफ कहना है कि - 'मैं लश्कर ए तैयबा का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, मैं जानता हूं कि वह मुझे पसंद करते हैं.'

अब आपको यह बता दें कि दरअसल इस तरह का बयान देने के पीछे परवेज मुशर्रफ का एक ही मकसद है, और वो है पकिस्तान की सियासत में वापस लौटना. वहीं सत्ता में रहते हुए मुशर्रफ ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ बयान दिए हैं और अमेरिका के वॉर ऑन टेरर (आतंकवाद के खिलाफ युद्ध) का समर्थन किया था. 2001 के बाद जब मुशर्रफ इस अभियान से जुड़े थे तब उन्होंने जेहादी संगठनों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी और इनके खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार किया था. कई आतंकियों को पकड़कर अमेरिका के हवाले भी किया गया था.

लेकिन वो दौर अलग था क्योंकि तब मुशर्रफ पकिस्तान की सत्ता में थे, लेकिन अभी वह सत्ता और देश दोनों से बाहर हैं. गौरतलब है कि मुशर्रफ पर लाल मस्जिद कार्यवाई और नवाब बुगती की हत्या का केस चल रहा है, इसके अलावा 2007 में पकिस्तान में आपातकाल लगाने को लेकर भी उन पर मुकदमा चल रहा है और ऐसे में पकिस्तान से बाहर हैं. लेकिन मुशर्रफ जल्द ही पकिस्तान में और सत्ता में अपनी वापसी चाहते हैं. इससे पहले भी वे एक बार पकिस्तान आये थे लेकिन तब उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और पकिस्तान से निकलने के लिए उन्हें सेना की मदद लेनी पड़ी थी. 

पकिस्तान से बाहर उन्होंने आतंकवाद और आतंकी दोनों के समर्थन की बात इसलिए कही क्योकि वे पकिस्तान में अपनी सत्ता वापस पाना चाहते हैं और इसके लिए वे नवाज के खिलाफ बोलने में नहीं चूक रहे. पाकिस्तान चुनाव से पहले मुशर्रफ वापिस लौटने की बात भी कह चुके हैं। इस तरह का बयान देना सिर्फ वोट हासिल करने और लोगों से फिर से संवाद स्थापित करने का एक पैतरा मात्र है. फिलहाल इस तरह के बयानों का उनकी राजनीति पर कुछ ख़ास प्रभाव तो नहीं पड़ेगा लेकिन वे सेना के पूर्व सेना प्रमुख रह चुके हैं और पकिस्तान पर 10 सालों तक अपना रौब जमा चुके हैं. ऐसे में उनका यह बयान पकिस्तान की आवाम को यह सन्देश देता है कि हाफ़िज़ पकिस्तान के लिए लड़ाई लड़ रहा है और वो कश्मीर की आज़ादी चाहता है. इस तरफ से मुशर्रफ साहब सिर्फ वोट बैंक बढ़ाना चाहते हैं और कुछ नहीं.

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