देश पर कुर्बान हो गया गुरनाम सिंह

नई दिल्ली: 24 वर्ष की छोटी सी उम्र में देश पर कुर्बान होने का मौका सभी को नसीब नहीं होता. लेकिन रेजीमेंट 173 बीएसएफ (ई कंपनी) में तैनात गुरनाम सिंह भाग्यशाली रहा कि उसे वतन पर अपनी जान न्योछावर करने का मौका मिला. भगतसिंह और इस साहसी सैनिक गुरनाम के बलिदान में एक समानता दिख रही है . दोनों सिख समुदाय से हैं और दोनों क्रमशः 23 -24 साल की उम्र में शहीद हुए.

बता दें कि जम्मू के हीरानगर सेक्टर के बोबिया पोस्ट पर तैनात जाबांज बीएसएफ जवान गुरनाम सिंह शनिवार देर रात शहीद हो गए. 21 अक्टूबर को उन्होंने एक घुसपैठ रोकने के लिए पाक रेंजरों और आतंकियों से मुकाबला किया था.जिसमें वह सिर में गोली लगने से बुरी तरह घायल हो गए थे.जम्मू के शासकीय अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहाँ वे कल देर रात शहीद हो गए.

जम्मू में बीएसएफ के आईजी डी के उपाध्याय ने गुरनाम की शहादत पर कहा इस बहादुर जवान पर हमें नाज है, गर्व है. जिस बहादुरी के साथ गुरनाम दुश्मनों के साथ लड़ा है वो काबिले-तारीफ है.गुरनाम बेहद साधारण परिवार से थे. वे जम्मू के आरएस पुरा से हैं और उनके पिता स्कूल बस ड्राइवर हैं.

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