गुलज़ार शायरी: वक्त कटता भी नही, वक्त रुकता भी नही, दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नही

1- इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम, इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है।

2- तुझ से बिछड़ कर कब ये हुआ कि मर गए, तेरे दिन भी गुजर गए और मेरे दिन भी गुजर गए.

3- आऊं तो सुबह, जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना, बर्फ पड़े तो बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना

4- वो शख़्स जो कभी मेरा था ही नही, उसने मुझे किसी और का भी नही होने दिया.

5- सालों बाद मिले वो गले लगाकर रोने लगे, जाते वक्त जिसने कहा था तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे.

6- जब भी आंखों में अश्क भर आए लोग कुछ डूबते नजर आए चांद जितने भी गुम हुए शब के सब के इल्ज़ाम मेरे सर आए

7- जिन दिनों आप रहते थे, आंख में धूप रहती थी अब तो जाले ही जाले हैं, ये भी जाने ही वाले हैं.

8- जबसे तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ लगाई है मीठा सा गम है, और मीठी सी तन्हाई है.

9- वक्त कटता भी नही वक्त रुकता भी नही दिल है सजदे में मगर इश्क झुकता भी नही

10- एक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था तब से मेरी नींद में बसती रहती हो बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो.

अनमोल विचार: समझ ये बंदे, प्रभु तुझसे दूर नहीं। भक्तों को कष्ट मिले, ये हमारे कान्हा को मंजूर नहीं।।

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