गुलज़ार की 10 बेस्ट शायरी

1- तकलीफ खुद ही कम हो गई,

जब अपनों से उम्मीद कम हो गई ।

 

2- ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला,

तमाम उम्र में दो चार छ गिले भी नहीं।

 

3- रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो,

दिन की चादर अभी उतारी है।

 

4- जब भी यह दिल उदास उदास होता है,

जाने कौन आस पास होता है,

कोई वादा नही किया लेकिन,

क्यों तेरा इंतजार होता है।

 

5- छोटा सा साया था आँखों में आया था,

हमने दो बूंदों से मन भर लिया।

 

6- ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,

बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।

 

7- इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया 

वर्ना हम भी आदमी थे काम के 

 

8- तुम शोर करते हो,

सुर्खियों में आने के लिए,

हमारी तो खामोशियां अखबार बनी हुई है।

 

9- ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।

 

10- आप के बाद हर घड़ी हम ने,

आप के साथ ही गुज़ारी है।

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