नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को बाधित करने के लिए एक बार फिर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि केंद्र सरकार को संसद के शीतकालीन सत्र के शेष बचे तीन दिनों में संरचनात्मक सुधार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने की उम्मीद है। उद्योग मंडल फिक्की की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा,संसद में अगले तीन दिन काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन तीन दिनों में कुछ बेहद अहम कानून पेश किए जाने वाले हैं। संसद के समक्ष पेश किए जाने वाले अहम विधेयकों में एक तो दिवालिया घोषित किए जाने से संबंधित कानून है और दूसरा विधेयक मध्यस्थता से संबंधित है। जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम लाभकारी साबित होंगे। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि अब तक संरचनात्मक सुधार के लिए उठाए गए कदमों का हमें फायदा मिलेगा और 2016-17 सत्र में विकास दर आठ फीसदी पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, हम जो विधेयक लाने वाले हैं, उससे देश में मामलों का निपटारा जल्द हो सकेगा। इसमें एक सदस्यीय न्यायाधिकरण भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में पिछले कई सप्ताहों के गतिरोध को दूर करने के लिए सभापति हामिद अंसारी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राजनीतिक दलों के बीच कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने पर सहमति बनी थी। हालांकि इसमें जीएसटी पर सहमति नहीं बना पाई। जेटली का मानना है कि जीएसटी पर कांग्रेस का हठ इसलिए है, क्योंकि वह खुद इसे पारित नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि जीसटी पर कांग्रेस का रुख कुछ इस तरह का है कि यदि वह नहीं कर सकी तो कोई और क्यों करे? जबकि इस विधेयक को सबसे पहले कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए पेश किया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि त्रुटिपूर्ण जीएसटी विधेयक पारित करने से अच्छा है विलंब से त्रुटिरहित विधेयक पारित हो। कांग्रेस से इस मुद्दे पर जिद छोड़ने को कहते हुए जेटली ने कहा कि इससे भावी पीढ़ी के लिए समस्या हो सकती है। इस अवसर पर जेटली के सहायक और वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने सचेत करने के लहजे में कहा कि कृषि में धीमे विकास के साथ यदि वेतन आयोग की सिफारिश को लागू कर दिया गया तो अगले वर्ष हमारी ही सरकार पर इसका अतिरिक्त भार आएगा। सिन्हा ने कहा, अगला वर्ष बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाला है। दो प्रमुख क्षेत्रों में विपरीत परिस्थितियां होने के कारण हमारे विकास की दर धीमी पड़ सकती है। लगातार दो वर्ष से खराब मौसम के कारण कृषि क्षेत्र में विकास की गति रुक गई है और वैश्विक मंदी के कारण भारतीय उत्पादों के निर्यात में भी कमी आई है।