इन चमत्कारी मंत्रों के जाप से होगा हर संकट का अंत

'मंत्र' का मतलब होता है मन को एक तंत्र में बांधना। अगर अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं तथा जिनकी वजह से चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं। इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र एवं देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को अवश्य बढ़ाने वाले साबित होंगे। 

1.  ॐ नमो नारायण। या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि। 2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। 3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि।  तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 4. त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्व मम देवदेव।। 5. शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।। लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।   मंत्र प्रभाव: प्रभु श्री विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों एवं घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा। विष्णु एवं लक्ष्मी की उपासना एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है। 

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